Diwali Special News: दीवाली पर प्रवेश द्वार को सजाएं इन पत्तों के बंदनवार से, मिलेगा ये बड़ा फायदा, भाई दूज तक करें ये सरल उपाय, साल भर प्रसन्न रहेंगी लक्ष्मी जी

November 7, 2023 by No Comments

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Diwali Special News: प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली (लक्ष्मी पूजन) का त्योहार सनातन धर्म में मनाया जाता है। बता दें कि दीवाली त्योहार का आगमन धनतेरस से ही हो जाता है और इसी दिन से दीवाली की रौनक दिखने लगती है. लोग अपने घरों को दीया, मोम्बत्ती व बिजली की झालरों से सजाकर रोशनी करते हैं और माता लक्ष्मी जी की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। मान्यता है कि जिस घर का द्वार सुंदर व साफ-स्वच्छ होता है वहां माता लक्ष्मी जाती है और उस घर पर धन वर्षा करती हैं। अर्थात उस घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती।

इसी को लेकर आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि, इस बार 12 नवम्बर रविवार को दीपावली है. दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी। इसी के साथ वह ये भी बताते हैं कि, मिट्टी के कोरे दिये में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए। दिये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर उपयोग करें। इसी के साथ आचार्य कहते हैं अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते को तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।

लक्ष्मीप्राप्ति के लिए इस तरह से करें साधना

आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं किस दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात भाईदूज तक (12 से 14 नवम्बर तक) एक स्वच्छ कमरे में दीपक जलाकर एवं सम्भव हो तो गौ-गोबर और अन्य औषधियों से बनी धूपबत्ती जला के, पीले वस्त्र धारण करके पश्चिम की तरफ मुँह करके बैठे । ललाट पर तिलक ( हो सके तो केसर का ) कर स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रात:काल इस मन्त्र की दो मालाएँ जपें :
ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे । अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात।

तेल का दीपक व धूपबत्ती लक्ष्मीजी की बायीं ओर, घी का दीपक दायीं ओर एवं नैवेद्य आगे रखा जाता है । लक्ष्मीजी को तुलसी तथा मदार (आक) या धतूरे का फूल नहीं चढ़ना चाहिए, नहीं तो हानि होती है । घर में लक्ष्मीजी के वास, दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करने वाले पर लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है।

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।) (फोटो-सोशल मीडिया)