दिल्ली के सराय काले खां का बदला गया नाम…जानें कौन थे वो? राजधानी से लेकर उत्तर प्रदेश तक जानें किन बड़ी जगहों के अब तक बदले गए हैं नाम

November 15, 2024 by No Comments

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Delhi News: भारत में शहरों और स्थानों के नाम बदलने का क्रम लगातार जारी है. हालांकि नाम बदलने का सिलसिला कोई नया नहीं है. फिलहाल दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदल दिया गया है. अब इसे बिरसा मुंडा चौक के नाम से बुलाया जाएगा. समय-समय पर राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारणों से कई स्थानों के नाम बदलने का क्रम देश में जारी है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बिरसा मुंडा की जयंती पर शुक्रवार यानी 15 नवंबर 2024 को दिल्ली में स्थित सराय कालेखां ISBT चौक का नाम बदल दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी दी कि महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी जननायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर यह बदलाव किया गया है. इस तरह से अब इस चौक का नाम नाम बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा.

मालूम हो कि दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी कई ऐतिहासिक स्थलों और शहरों के नाम बदल दिए गए हैं. तो आइए हम दिल्ली से यूपी तक की उन जगहों के नाम के बारे में यहां बताते हैं जिनके नाम बदले गए और इनके क्या कारण रहे?

दिल्ली

दिल्ले के इंडिया गेट को पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से जाना जाता था.
दिल्ली के रॉयल रॉट्स को अब राजपथ के नाम से जाना जाता है.
मुगल गार्डन को अब अमृत उद्यान के नाम से जाना जाता है.

उत्तर प्रदेश

बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से कई स्थानों व शहरों के नाम बदलने का क्रम जारी रहा है. कासिमपुर हाल्ट, जायस, मिसरौली, बनी, निहालगढ़, अकबर गंज, वजीरगंज हाल्ट और फुरसतगंज स्टेशन शामिल है. इसी के साथ ही यूपी में कई शहरों और स्थानों के नाम भी बदले जा चुके हैं.

जैसे

इलाहाबाद का पुराना नाम प्रयाग था. उत्तर प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2018 में इसका नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया और अब इसे प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता है. अयोध्या नगर निगम की मानें तो इसका पुराना नाम साकेत था. तो वहीं अयोध्या को पहले अयुद्धा, कोसल नाम से भी जाना जाता था. सभ्य भारत की छठी शताब्दी में साकेत प्रमुख शहर था. फिर इसे बाद में फैजाबाद और फिर अयोध्या नाम बदला गया. तो वहीं अल्लाहपुर को अब देवगढ़ के नाम से जाना जाता है. नोएडा का नाम पहले न्यू ऑर्केडा (New Okhla Industrial Development Area) था लेकिन बाद में इसका नाम बदला गया और अब इसे नोएडा के नाम से जानते हैं.

सूफी संत थे काले खां

इतिहास के जानकारों के मुताबिक, काले खां को 14वीं शताब्दी के एक महान सूफी संत के रूप में जाना जाता है. दिल्ली में इंदिरा गांधी एयरपोर्ट क्षेत्र में सूफी संत काले खां की मजार भी स्थित है. वह शेरशाह सूरी के समय में हुए थे. आगे चलकर दिल्ली स्थित इस आश्रय स्थल यानी सराय का नाम मुगल काल में काले खां यानी उनके नाम पर रख दिया गया था. माना जाता है कि इस स्थान की संस्कृति में सूफी परंपरा की गहरी छाप मिलती है. यही वजह है कि सराय काले खां दक्षिण पूर्वी दिल्ली जिले में जहां स्थित है. उस जगह को ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण समझा जाता है.

माना जाता है कि यहां एक पुराना गांव था जिसका नाम पहले सराय काले खान था. यहां पर मुख्य रूप से गुर्जर समाज के लोग निवास किया करते थे लेकिन जैसे-जैसे दिल्ली का विकास होता गया यह गांव शहर का हिस्सा बन गया लेकिन उसका नाम नहीं बदला और इस क्षेत्र को लगातार सराय काले खां ही कहा जाता रहा.

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