Dev Uthani Ekadashi: देव उठनी एकादशी पर भूल कर भी न करें ये पांच कार्य, पढ़ें कथा

November 22, 2023 by No Comments

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Dev Uthani Ekadashi: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की एकादशी को सभी एकदशियों में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा माना गया है। इसीलिए इस एकादशी के कई नाम है। इसे देवउठनी, हरिप्रबोधिनी (Hari Prabodhini Ekadashi ) और देवोत्थानी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी का विशेष महत्व सनातन धर्म में माना गया है।

इस बार यह एकादशी 23 नवम्बर को पड़ रही है। आचार्य सुशील शास्त्री बताते हैं कि मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी की तिथि को विष्णु भगवान क्षीर सागर में सोने चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी पर वह उठते हैं। इसी वजह से हिंदू समाज में आषाढ़ की देवशयनी एकादशी से लेकर देव उठनी एकदशी तक (करीब चार महीने तक) विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते और देवउठनी एकादशी के बाद से ये मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं इस दिन तुलसी माता (पौधे) का विवाह शालिग्राम से करने की भी परम्परा चली आ रही है। इसी के साथ इस दिन से लेकर भीष्म पंचक तक व्रत करने का भी विधान बताया गया है। दरअसल हिंदू धर्म ग्रंथों में कार्तिक मास का एक अलग ही महत्व बताया गया है। कहते हैं जो लोग इस महीने प्रतिदिन गंगा स्नान करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी पर न करें ये पांच कार्य

आचार्य पंडित रवि शास्त्री बताते हैं कि एकादशी पर तामसिक चीजों का सेवन न करें। इस दिन सात्विक भोजन करें। अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो इस दिन साधारण भोजन करें। मांस-मदिरा आदि का सेवन इस दिन बिल्कुल भी न करें।

इस दिन तुलसी के पत्ते न तोड़े। देवउठनी एकादशी के दिन प्रभु शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। ऐसे में इस दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ने की मनाही होती है।

चावल और साबूदाना का सेवन न करें। एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि चावल का सेवन करने से व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि पाता है।

वाद-विवाद से बचें। किसी भी एकादशी तिथि के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन लड़ाई-झगड़ा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।

किसी का न करें अपमान। एकादशी तिथि के दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट होती हैं और घर में सुख-सम्पत्ति की कमी होने लगती है।

करें ये पांच कार्य, मिलेगा लाभ ही लाभ
एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करें।
एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है। इसलिए हमें दान अवश्य करना चाहिए
विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए।
एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।
कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रचलित कथा
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि देवउठनी एकादशी को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान नारायण जी (विष्णु जी) से एक दिन लक्ष्मी जी ने कहा कि हे नाथ, आप दिन-रात जागा करते हैं और अगर सो जाते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्ष तक के लिए सो जाते हैं। इसी के साथ उस समय सभी चराचर का नाश भी कर डालते हैं। इसलिए आप प्रतिवर्ष नियम से सोया करें। इससे मुझे भी कुछ समय के लिए विश्राम करने का समय मिल जाएगा। यह बात सुनकर नारायण जी मुस्कुराए और बोले कि देवी तुमने ठीक कहा। मेरे जागने से सभी देवों, खासकर तुम्हें भी कष्ट होता है। मेरी सेवा से जरा भी अवकाश तुम्हें नहीं मिलता। इसलिए तुम्हारे कहने पर मैं प्रतिवर्ष चार महीने वर्षा ऋतु के समय शयन करुंगा उस समय तुमको और देवगणों को अवकाश होगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलयकालीन महानिद्रा कहलाएगी। भक्तों को मेरी यह निद्रा मंगलकारी होगी। इस दौरान जो भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे मैं उनके घर में निवास करुंगा।

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)