गंगा दशहरा: अगर है पारिवारिक मतभेद व नहीं चल रहा है कारोबार तो, गंगा जल का इस तरह करें प्रतिदिन इस्तेमाल, जानें गंगा जल के पांच उपाय, देखें आरती और कथा, वीडियो
आज (9 जून 2022) को पूरा भारत गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) मना रहा है। ये भला कौन नहीं जानता कि सनातन धर्म में मां गंगा से अधिक पवित्र किसी को भी नहीं माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक मां गंगा तो पापियों के पाप धोने वाली हैं। अर्थात मां गंगा इतनी पवित्र हैं कि अगर कोई पाप करने वाला व्यक्ति भी माता के चरणों में एक बार स्नान कर लेता है तो उसके पाप भी धुल जाते हैं।
केवल भारत का सनातन धर्म ही है, जहां नदी को भी मां का दर्ज दिया गया है। ऐसी ही मां के अवतरण दिन को ही गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इसी दिन पृथ्वी पर माता गंगा का आगमन हुआ था। इस खास मौके पर आचार्य विनोद कुमार मिश्र कुछ उपाय बता रहे हैं, जिसे अपनाकर आप सकारात्मक ऊर्जा का लाभ उठा सकते हैं। वैसे तो मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन लोग तीर्थ स्थलों पर जाकर गंगा स्नान करते हैं। आज भी वाराणसी, कानपुर, हरिद्वार,प्रयागराज सहित उन सभी तीर्थ स्थल, जहां से माता गंगा निकली हैं, में बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान को पहुंचे हैं।
करें ये उपाय
भारतीय संस्कृति में गंगा का विशेष महत्व है। इसलिए गंगा दशहरा के दिन पूरे घर में जल अवश्य छिड़कें। इसी के साथ अगर परिवार के लोगों के बीच मन मुटाव है और आपस में नहीं बनती है तो रोज सुबह पूरे घर में गंगा जल छिड़कें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा कम होगी और शांति का माहौल बनेगा।
दक्षिणावर्ती शंख में गंगा जल भर कर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें । इससे भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होंगी औऱ घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी।
परिवार में सुख-समृद्धि चाहते हैं तो पीपल के पेड़ पर रोज गंगा जल चढ़ाएं, क्योंकि पीपल में भगवान विष्णु का वास मना गया है। इस विधि से घर में दरिद्रता नहीं आती और सुख-शांति बना रहती है।
दुकान में किसी ने तंत्र प्रयोग किया हो तो पूरी दुकान में गंगा जल छिड़कें। इससे उस जगह की नकारात्मकता खत्म हो जाएगी और व्यवसाय चलने लगेगा।
घर में गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करने करने के लिए नीचे दिए मन्त्र को बोलते हुए करें स्नान। इससे तीर्थ स्थल पर करने वाले गंगा स्नान जितना ही मिलेगा लाभ।
ॐ ह्रीं गंगायै नम: ॐ ह्रीं स्वाहा।।
मां गंगा की आरती
माँ गंगा जी की आरती, ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता। कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता। यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता। सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
कथा
नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)