LUCKNOW UNIVERSITY:डिजाइन बेहतर न होने से पिछड़ रहा हस्तशिल्प, एक सर्वेक्षण में हुआ खुलासा
लखनऊ। बेहतर डिजाइन और गुणवत्ता में कमी के कारण ही हस्तशिल्प का क्षेत्र समय के साथ चलने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। इसे आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हस्तशिल्प के प्रति लोगों का नजरिया बदला जाए और इसे खादी की तरह ही मार्डन बनाया जाए। यह बात एक शोध में सामने आई है।
बुधवार को LU के वाणिज्य विभाग में संचालित भाउराव देवरस शोध पीठ द्वारा अप्रयुक्त ‘मेड इन इंडिया’ गोल्डमाइन-हस्तशिल्प सर्वेक्षण परिणाम की रिपार्ट प्रो. सोमेश कुमार शुक्ला, निदेशक शोध पीठ द्वारा कुलपति आलोक कुमार राय को प्रस्तुत की गई, जिसके अवलोकन के बाद कुलपति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके आधार पर यह निर्देशित किया गया है कि शोध पीठ के उद्देश्यों के अनुसार LU के अध्ययनरत छात्र/छात्राओं में उद्यमशीलता की भावना एवं कौशल विकसित करने के लिए नई शिक्षा नीति के अनुसार समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
समय के अनुसार बदलना होगा हस्तशिल्प को
विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक छह एवं सात फरवरी 2021 को भाऊराव देवरस शोधपीठ द्वारा ओडीओपी एक जिला एक उत्पाद युग में हस्तशिल्प उत्पादकों की आवश्यकताओं एवं चुनौतियों को चिहिन्त करने के लिए एक आंकलन किया गया। हस्तशिल्प खुदरा विक्रेताओं के विचार के अनुसार, हस्तशिल्प के चयन के दौरान सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता उत्पाद की गुणवत्ता, उचित डिजाइन एवं मूल्य होता है। इसके अतिरिक्त उत्पादकों/आपूर्तिकर्ताओं के बारे में जानकारी की कमी होने और हस्तशिल्प उत्पादों की प्रतिकूल कीमतें, उत्पादों की आपूर्ति के दौरान खुदरा विक्रेताओं को आगे बढ़ने के लिए बाधा उत्पन्न करती हैं।
हुनर हॉट में किया गया था सर्वेक्षण
प्रो. सोमेश कुमार शुक्ला ने बताया कि हुनर हाट में उत्पाद का आंकलन सर्वेक्षण 56 स्टालों के बीच किया गया। इसके तथ्यों एवं आंकड़ों से शोधपीठ पारम्परिक हस्तशिल्प बाजार की चुनौतियों एवं अवसर से अवगत हुआ। यह सर्वेक्षण परिणाम शिक्षाविदों/शोधकर्ताओं को बेहतर उत्पादकों और बाजार की आवश्यकताओं को समझने में भी सहायक होगी और परिभाषित करने एवं अनुवर्ती गतिविधियों को लागू करने के लिए, पर्यटन एवं हाटबाजार के लिए हस्तशिल्प में उत्पादों के डिजाइन एवं विकास में भी योगदान देगा।
इस तरह से किया जा सकता है सहयोग
हस्तशिल्प के क्षेत्र में सामने आए मूल्यांकन के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों एवं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए शोध में निष्कर्ष निकला है कि हस्तशिल्प उत्पादकों की निम्न बिन्दुओं के आधार पर सहायता की जा सकती है।
बाजार की मांग और समय के अनुसार उत्पादों की डिजाइन को और बेहतर करना।
हस्तशिल्प के उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करना।
आपूर्तिकर्ताओं के साथ संबंध स्थापित करना और बराबर उनसे सम्पर्क बनाए रखना।
साथ ही उनके उत्पादों को बढ़ावा देना।
बाजार का हस्तशिल्प के प्रति दृष्टिकोण बदलना।
उत्पादकों के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं का आयोजन करना।
उत्पादकों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराना।