Health Tips: जानें लगातार बल्ब की रोशनी में रहना कितना हो सकता है खतरनाक, हेल्थ को क्या हो सकता है नुकसान
Health Tips: आधुनिकता की दौड़ में दौड़ते लोग भौतिक चीजों के इतने आदी हो गए हैं कि अब प्रकृति के साथ रहना जरा भी पसंद नहीं करते. यहां तक कि घरों को भी ऐसा बनवा लिया है कि रात-दिन घरों के खिड़की-दरवाजे बंद रहते हैं और एसी चलता है व बल्ब जलता रहता है. चाहे कितनी ही बड़ी इमारते हों या फिर छोटी लोगों ने ऐसी लाइफ स्टाइल बना ली है कि सेहत का भी ध्यान नहीं कर रहे हैं. दूसरे घरों को भी ऐसा बनाया जाने लगा है कि सूर्य की रोशनी भी घर में नहीं आती. इस वजह से दिन भर बल्ब की रोशनी में लोग रहते हैं. बहुत से लोग पूरे दिन-रात कृत्रिम लाइट्स जैसे बल्ब और ट्यूबलाइट्स को जलाकर रहते हैं. जबकि नेचुरल लाइट यानी सूर्य की रोशनी न केवल हमारे घर के बिजली बचाती है और बिजली का बिल कम करती है बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं. यहां जानकार बता रहे हैं कि अगर आप दिन भर बल्ब की रोशनी में रहते हैं तो आपको क्या हेल्थ की समस्या हो सकती है.
हो सकती है नींद की समस्याएं
जानकार बताते हैं कि, अधिक प्रकाश शरीर के नेचुरल सर्केडियन रिदम को बाधित करता है, जिससे नींद न आना या नींद की गुणवत्ता में कमी आ सकती है. मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन में कमी होने से नींद और जागने के चक्र में असंतुलन हो सकता है. इसलिए कोशिश करें कि नेचुरल लाइट में भी रहें.
आंखों पर तनाव हो सकता है
बिजली के तेज रोशनी वाले बल्ब और ट्यूब लाइट्स का अधिक उपयोग करने से आंखों की सेहत पर भी असर पड़ सकता है. ये आंखों के लिए भी हानिकारक हो सकता है. रात-दिन इस तरह की रोशनी में रहने से आंखों पर काफी ज्यादा प्रेशर पड़ता है. जिसके कारण थकान, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं होने लगती है. दीर्घकाल में यह आँखों की रोशनी तेज़ी से कम होने का कारण बन सकता है. इसके साथ ही मोतियाबिंद, रतौंधी और अन्य आँख सम्बंधी बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ जाता है.
मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है प्रभाव
जानकार बताते हैं कि, जब हम दिन-रात लाइट और बल्ब की रोशनी में रहते हैं, तो इससे हमारी नींद प्रभावित होती है. पर्याप्त और गहरी नींद न ले पाने से हमारा सर्केडियन रिदम भी बाधित हो जाता है. वहीं एक्सपर्ट ये भी बताते हैं कि, जो हमारे शरीर का 24 घंटे का नैचुरल साइकिल होता है. इस वजह से शरीर में हार्मोनल असंतुलन आने लगता है जिससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होकर चिंता, तनाव, अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. इसलिए रात को पर्याप्त अंधेरे और शांत वातावरण में सोना स्वस्थ मानसिकता के लिए बहुत जरूरी है.
टाइप 2 डायबिटीज का बढ़ सकता है खतरा
तो इसी के साथ ही हाल ही में एक रिसर्च सामने आया है, जिससे पता चलता है कि कृत्रिम प्रकाश, जैसे कि बल्ब और ट्यूबलाइट्स की रोशनी में लगातार रहने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. इसका कारण यह है कि कृत्रिम प्रकाश हमारे शरीर के नैचुरल बायोलॉजिकल क्लॉक को प्रभावित करता है, जिससे इंसुलिन सेंसिटिविटी और मेटाबोलिज्म में असंतुलन हो सकता है. यह असंतुलन ब्लड शुगर लेवल्स में वृद्धि का कारण बन सकता है, जो डायबिटीज के विकास की ओर ले जाता है. ऐसे में हमें एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि दिन में सूर्य की रोशनी में रहे तो हेल्थ के लिए ज्यादा लाभकारी है.