Mohan Yadav News: अब ‘शिव’ नहीं मध्य प्रदेश में होगा ‘मोहन’ का राज, जानें क्या है इस बदलाव के पीछे भाजपा की गणित, देखें नए MP CM का कैसा रहा है राजनीतिक सफर
Mohan Yadav News: मध्य प्रदेश में नए मुख्यमंत्री मोहन यादव का नाम घोषित करके भाजपा ने सभी को चौंका कर रख दिया है, लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा ने यादव गणित लगाकर अखिलेश के साथ ही लालू यादव का भी पत्ता साफ करने की चाल चल दी है. फिलहाल देखना ये है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष इसकी क्या काट ढूंढता है, हालांकि मध्यप्रदेश में सीएम बनने की दौड़ से भाजपा के तमाम जाने-माने चेहरे बाहर हो गए हैं तो वहीं अभी तक जहां मध्य प्रदेश की जनता “शिव”राज सिंह चौहान के संरक्षण में थी तो अब उनको “मोहन” यादव के शासन में रहना होगा. यानी प्रदेश में अब शिव का राज नहीं मोहन राज होगा। मोहन यादव ने अपने राजनीति सफर की शुरुआत छात्र जीवन से की थी। अब वे प्रदेश के सत्ता के शीर्ष पर विराजमान हो गए हैं। आइए, उनके बारे में जानते हैं विस्तार से…
चौंका दिया भाजपा के इस फैसले ने
बता दें कि तीन दिसंबर को विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे घोषित होने के बाद से ही लगातार इस बात को लेकर सस्पेंस चल रहा था कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री आखिर कौन होगा. इस दौड़ में वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही कहीं वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल थे, लेकिन सोमवार को भोपाल में मध्य प्रदेश भाजपा विधायक दल के बैठक के दौरान की गई घोषणा ने अचानक सभी को उस समय चौंका दिया, जब उज्जैन दक्षिण के विधायक और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉ. मोहन यादव को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा कर दी गई।
25 मार्च 1965 में हुआ था जन्म
बता दें कि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव वर्तमान में उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं, जो की वर्ष 2013 में पहली बार इस क्षेत्र से विधायक बने थे, जिसके बाद वर्ष 2018 में फिर इसी विधानसभा सीट से विजय श्री हुए। उन्होंने 2 जुलाई 2020 को शिवराज सरकार मे उच्च शिक्षा मंत्री की शपथ ली थी। जिसके बाद 3 दिसंबर 2023 को वे लगभग 13000 मतों से उज्जैन दक्षिण क्षेत्र से विजयी घोषित हुए थे। डॉ. मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। उनके पिता पूनमचंद यादव और माता लीलाबाई यादव हैं। उनकी पत्नी का नाम सीमा यादव हैं।
छात्र राजनीति से की थी करियर की शुरुआत
मोहन यादव ने छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत की थी. फिलहाल भाजपा ने अगले पांच साल के लिए डॉ. मोहन यादव को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके अलावा जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला प्रदेश के नए उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे। तो वहीं नरेंद्र सिंह तोमर को एमपी विधानसभा स्पीकर की जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्यमंत्री बनने तक कुल 41 वर्षों तक का रहा संघर्ष
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से पहले तमाम संघर्षों का सामना करना पड़ा है. उनका 41 वर्षों तक संघर्ष रहा है। उन्होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। पार्टी में कई पदों पर रहने के बाद सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला है। कई बार वह बयानों को लेकर प्रदेश की राजनीति में चर्चा में रहे हैं। 1982 में वे माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव और 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1984 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 मे विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। इसी के साथ ही वर्ष 1988 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं।1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं। संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई। 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवेबोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी बने। इसके बाद उन्होंने संगठन में रहकर अलग-अलग पदों पर काम किया। 2004-2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहें। 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) भी बने। पहली बार 2013 में वह विधायक बने। 2018 में भी पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वह चुनाव जीतने में सफल रहे। 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मोहन यादव फिर से मंत्री बने।
जानें मोहन यादव की शिक्षा और करियर
डॉ. मोहन यादव माधव विज्ञान महाविद्यालय से पढ़ाई की है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री रहे हैं। 1982 में छात्र संघ के सह-सचिव चुने गए थे। भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य और सिंहस्थ मध्य प्रदेश की केंद्रीय समिति के सदस्य रहे हैं। मध्य प्रदेश विकास प्राधिकरण केप्रमुख, पश्चिम रेलवे बोर्ड में सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं।
कर चुके हैं कांग्रेस के इन आरोपों का सामना
बता दें कि उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर कांग्रेस मोहन यादव पर गंभीर आरोप लगा चुकी है। कांग्रेस ने कहा था कि मोहन यादव ने अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान को गलत तरीके से पास कराया है। यादव ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था और फिर लोगों ने भी इन आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया और मोहन यादव को ही दोबारा विधायक बनाकर भोपाल भेज दिया.
हमेशा रहे इन मामलों को लेकर चर्चा में
माता सीता को लेकर एक विवादित बयान देने के मामले मे वह चर्चा में रहे है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा था कि मर्यादा के कारण भगवान राम को सीता को छोड़ना पड़ा था। उन्होंने वन में बच्चों को जन्म दिया। कष्ट झेलकर भी राम की मंगलकामनना करती रहीं। आज के दौर में ये जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है। फिलहाल देखना ये है कि मोहन यादव किस तरह से अब मध्य प्रदेश में भाजपा की साख को बरकरार रखते हुए आने वाले लोकसभा चुनाव में विजयीश्री दिलवाते हैं. फिलहाल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उनके ऊपर पूरी भरोसा किया है.