ISKCON TEMPLE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच किया 125 रुपए का सिक्का, कहा मेक इन इंडिया को अपनाएं, देखें कार्यक्रम का पूरा वीडियो
लखनऊ। इस्कॉन मंदिर के संस्थापक व भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का बखान न केवल भारत बल्कि विदेशों में करने वाले श्रीला भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 125 रुपये का सिक्का लांच किया। इसी के साथ उन्होंने कहा कि श्रीला भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद केवल कृष्ण भक्त ही नहीं थे, बल्कि सच्चे देश भक्त भी थे। उन्होनें आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई और स्काटिश कॉलेज से डिप्लोमा लेने से मना कर दिया था। इसी के साथ उन्होंने मेक इन इंडिया को ठीक उसी तरह अपनापन देने को कहा, जैसे श्रीकृष्ण भक्तों को देते हैं।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता की टकसाल में श्रील प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर 125 रुपये का विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। इसी के साथ प्रभुपाद जी के जीवन के उन पलों को सबके सामने उजागर किया, जिसे शायद ही लोग जानते हों। मोदी ने बताया कि जब प्रभुपाद जी भारत से समुद्र के रास्ते अमेरिका जा रहे थे, उनको दो बार हार्ट अटैक आया। वह उस समय 70 साल के थे। फिर भी हार नहीं मानी। इस दौरान उनके पास एक भी पैसा नहीं था।
अगर कुछ था तो वो है श्रींमद्भागवत और प्रभु कृष्ण। अपनी बात की शुरूआत करते हुए मोदी ने कहा कि परसों श्रीकृष्ण जन्माष्टमी थी और आज हम श्रील प्रभुपाद जी की 125वीं जन्म जयंती मना रहे हैं। यह ऐसा है, जैसे साधना का सुख और संतोष दोनों एक साथ मिल जाए। इसी भाव को आज पूरी दुनिया में प्रभुपद स्वामी के लाखों करोड़ों अनुयायी व भक्त अनुभव कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि लाखों मन व शरीर एक साथ किसी शक्ति से जुडे हों। वह आलौकिक कृष्ण भक्त तो थे ही साथ ही वो एक महान भारत भक्त भी थे। देश की आजादी व असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था। कितना अच्छा संयोग है कि जब भारत अपनी आजादी के 75वें साल पर अमृत महोत्सव मना रहा है, हम प्रभुपाद जी की 125 वीं जयंती मना रहे हैं। हम सभी को उनके बताए मार्ग पर चलकर आगे बढ़ना होगा।
अटल जी ने कहा था किसी चमत्कार से कम नहीं थे प्रभुपाद
जब न्यूयार्क पहुंचे तो उनके पास खाने को भी नहीं था, लेकिन अगले 11 सालों में उन्होंने जो किया वो किसी चमत्कार से कम नहीं था। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की बात को याद करते हुए कहा कि एक बार उन्होंने कहा था कि प्रभुपाद जी किसी चमत्कार से कम नहीं थे। जब कच्छ में भुकम्प आया था तो इस्कान ने आगे बढ़कर लोगों की सेवा की। इस्कान ने हमेशा सिम्बल बनने का काम किया। करोना महामारी में भी मदद की और लाखों गरीबों की मदद हमेशा से करते आ रहे हैं। वैक्सीन अभियान में भी हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े 60 से अधिक देश
इस्कॉन मंदिर ट्रस्ट की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया की, इस कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से 60 देशों के भक्त जुड़े। कार्यक्रम की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के मायापुर में स्थित इस्कॉन विश्व विद्यालय के छात्र ने संस्कृत में प्रार्थना की और प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इस्कॉन के राष्ट्रीय संचार निदेशक व्रजेंद्र नंदन दास ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार का आभार जताया।
जानिए स्वामी प्रभुपाद को
स्वामी प्रभुपाद ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) की स्थापना न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में की। उनके इस कार्य को ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के रूप में जाना जाता है। इस्कॉन ने श्रीमद भागवत गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया है, जो दुनियाभर में वैदिक साहित्य के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वामी प्रभुपाद ने 100 से अधिक मंदिरों की स्थापना की और दुनिया को भक्ति योग का मार्ग दिखाने वाली कई किताबें लिखीं।
कुछ ऐसा रहा स्वामी प्रभुपाद का शुरुआती जीवन
स्वामी प्रभुपाद का पूरा नाम ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी है। उनका जन्म 1 सितंबर 1896 को कोलकाता में हुआ था। साल 1922 में अपने गुरु से मिलने के बाद उन्होंने अंग्रेजी भाषा में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को पूरी दुनिया में प्रसारित करने का प्रण किया। इसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की। उस समय स्वामी प्रभुपाद की उम्र 70 वर्ष थी। उन्होंने बोस्टन में पहली बार अमेरिकी धरती पर कदम रखा। इसके बाद उन्होंने मात्र 12 वर्षों में दुनिया के अलग अलग हिस्सों में कृष्ण भगवान के 108 मंदिरों की स्थापना की। इसी के साथ उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े शाकाहारी खाद्य सहायता कार्यक्रम की भी स्थापना की।
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