PUDRADA EKADASHI: सावन की पुत्रदा एकादशी कल, करें ये सरल अनुष्ठान, घर में नहीं होगा झगड़ा
सावन की एकादशी का व्रत प्रत्येक महीने में दो बार किया जाता है। शास्त्रों में इसका महान पुण्य बताया गया है। हर महीने की एकदशी से अधिक पुण्य सावन के महीने में पड़ी एकादशी को माना जाता है। इसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि सावन के इस पवित्र महीने में इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से संतान की इच्छा रखने वालों की मनोकामना पूरी होती है। आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि अगर इस दिन दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें तो घर में होने वाले झगड़ों से निजात मिलेगी। इसके लिए आपको संकल्प कर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना होगा, लेकिन इसके लिए कुछ सावधानी भी बरतनी होगी।
एकादशी व्रत में ये बरतें सावधानी
मान्यता है कि एकादशी का व्रत पाप और रोगों का करता है। वृद्ध, बालक और रोगी को एकादशी का व्रत नही रखना चाहिये उनको चावल का त्याग करना चाहिए। अगर संतान प्राप्ति के उद्देश्य से ये व्रत कर रहे हैं तो सारा दिन व्रत रखकर भजन-कीर्तन करें। विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उनका आशिर्वाद प्राप्त करें। इस दौरान मन में अनुष्ठान के प्रति पूरी निष्ठा और एकाग्रता जरूर रखें।
एक एकादशी व्रत और तमाम मिलते हैं पुण्य
सूर्यग्रहण में दान करने से कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से मिलता है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से मिलता है। एकादशी व्रत करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य के साथ संतान की वृद्धि होती है। कीर्ति-वैभव बढ़ता है।