सालों बाद बना अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग, एक ही दिन मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
इस बार 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक ही दिन मनाई जाएगी। अक्सर देखा गया है कि जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाया जाता रहा है। वैष्णव और स्मार्त अलग-अलग दिनों में यह पर्व मनाते आए हैं। इसका एक मात्र कारण यह रहा है कि कभी रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि एक साथ नहीं आए, जबकि यह संयोग इस बार पड़ रहा है। अर्थात कई सालों बाद यह संयोग पड़ा है कि रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि एक साथ एक ही दिन पर मिल रहे हैं। इसी वजह से इस बार गृहस्थों और साधु-संतों द्वारा जन्माष्टमी एक ही दिन मनाई जाएगी।
बाबा दौलत गिरि संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ के प्राचार्य आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि अक्सर कभी अष्टमी तिथि मिलती को रोहणी नक्षत्र का संयोग नहीं मिलता था, लेकिन इस बार 30 अगस्त को भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ ही सुबह 6 बजकर 08 मिनट से रोहणी नक्षत्र लग जाएगा, जो नवमी को सुबह 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस वजह से 30 अगस्त को ही इस बार जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह संयोगा सालों बाद पड़ा है।
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इसलिए मनाई जाती थी अलग-अलग दिनों में
वैष्णव और स्मार्त हमेशा से ही अलग-अलग दिनों में जन्माष्टमी का पर्व मनाते आए हैं। वैष्णव (साधू-संतो) जन्माष्टमी तब मनाते हैं जब रोहिणी नक्षत्र पड़ता है और स्मार्त (गृहस्थ, पारिवारिक) लोग अष्टमी तिथि को मनाते हैं, इसलिए जिस दिन अष्टमी तिथि होती है, उसी दिन जन्माष्टमी मनाते रहे हैं। कभी-कभी को तिथि पहले और नक्षत्र बाद में पड़ता रहा है। इसीलिए अलग-अलग दिनों में जन्माष्टमी पर्व को मनाने की प्रथा चली आ रही है, लेकिन इस बार एक ही दिन पर दोनों संयोग के पड़ने से वैष्णव और स्मार्त एक ही दिन जन्माष्टमी मनाएंगे।
इसलिए मनाई जाती है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
बता दें कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी त्योहार हिंदुओं का एक बड़ा पर्व है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ा है। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म जेल में हुआ था। उनके मामा कंस ने एक भविष्यवाणी के चलते अपनी बहन देवकी को पति के साथ जेल में कैद कर दिया था और एक-एक कर उनकी सारी संतानों को मार दिया था। क्योंकि भविष्यवाणी में कहा गया था कि कंस की हत्या देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी।
कंस एक क्रूर राजा था, जो कि अपनी प्रजा को सदैव कष्ट देता रहता था। इस पर भगवान कृष्ण ने लोगों का दुख दूर करने के लिए ही धरती पर जन्म लिया था। जब भगवान का जन्म हुआ तो जेल के सभी पहरेदार बेहोश हो गए और मौका पाते ही देवकी के पति वासुदेव श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा व नन्द के घर पर छोड़ कर उनकी कन्या को लेकर वापस जेल लौट आए थे। बाद में उस कन्या को भी कंस ने मार दिया था और बाद में श्रीकृष्ण को भी बहुत मारने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुआ और अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने उसे मारकर लोगों की रक्षा की। इसी वजह से इस दिन को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी माना जाता है और घर-घर में झांकी सजाकर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। यहां बताते चलें कि हिंदू धर्मग्रंथों में धरती पर चार युग बताए गए हैं। सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग। इसके अनुसार कलयुग चल रहा है और शेष सभी युग बीत चुके हैं।