BRUTAL TALIBAN: नन्हें-मुन्हों को गाजर-मूली की तरह काट रहा तालिबान, वायरल तस्वीरें देखने लायक भी नहीं 

November 27, 2021 by No Comments

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नई दिल्ली। तालीबान की क्रूरता का परिचय इसी से मिल रहा है कि वे पुरुष और महिलाओं के साथ ही बच्चों की भी हत्या करने से नहीं चूक रहे हैं। इस सम्बंध में कुछ ताजा तस्वीरें अफगानिस्तान के पूर्व गृहमंत्री मसूद अंदाराबी ने वायरल की है, ताकि दुनिया के सामने तालीबानियों का असली चेहरा सामने लाया जा सके। तालीबानियों ने नन्हें बच्चों का कत्लेआम इस कदर किया है कि स्पष्ट रूप से उनकी तस्वीरें भी नहीं दिखाई जा सकतीं। 

तस्वीरे पोस्ट करते हुए अंदाराबी ने कहा कि तालिबान लोगों में अपना भय पैदा करना चाह रहा है, इसीलिए पुरुषों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों का कत्लेआम कर रहा है। ऐसा कर के वह आफगानिस्तान पर शासन करना चाहता है, लेकिन इस तरह का घिनौना काम करके वह राष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता। बच्चों की हत्या करना तालिबान की क्रूरता के साथ ही इसके कायर होने का भी सुबूत देता है। तालिबान लोगों के घरों की अनुचित तलाशी ले रहा है। बिना कारण ही लोगों को पकड़ कर उन्हें सजा दे रहा है। निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रहा है। नतीजतन लोगों को अपने जीवन, सम्मान, गरिमा और संपत्ति की रक्षा के लिए हथियार उठने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 

दूसरी ओर अफगानिस्तान के वर्तमान स्वघोषित राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने एक ट्वीट में कहा है कि तालिबान भोजन और ईंधन को अंदराब घाटी में नहीं जाने दे रहा है। यहां की मानवीय स्थिति भयावह हो गई है। हजारों महिलाएं और बच्चे पहाड़ों की ओर भाग गए हैं। पिछले दो दिनों से तालिबान बच्चों और बुजुर्गो का अपहरण कर रहा है और उन्हें ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति तालिबान के काबुल पर कब्जा करते ही देख छोड़कर भाग गए थे। ऐसे में देश को सम्भालने और अपनी जनता में आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए सालेह ने खुद को ही राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। वह गनी के समय उपराष्ट्पति थे।  

जहां एक ओर अफगानिस्तान में खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और दुनिया मूक दर्शक बनी सबकुछ देख रही है, वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने कहा कि हमें विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन और मानवाधिकारों के हनन की विश्वसनीय रिपोर्टे मिली हैं। तालिबान के कब्जे वाले कई इलाकों में ये सब हो रहा है। महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मसलन उनका आजादी से घूमने का अधिकार और लड़कियों के स्कूलों में जाने का अधिकार छीन लिया गया है। बाल सैनिकों की भर्ती तेजी से की जा रही है। शांतिपूर्ण विरोध व असंतोष की अभिव्यक्ति का दमन तालिबानियों द्वारा लगातार जारी है।