The Sabarmati Report की पीएम मोदी के बाद अमित शाह ने भी जमकर प्रशंसा; जानें गोधरा कांड में कब क्या हुआ?-Video

November 18, 2024 by No Comments

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The Sabarmati Report: हाल ही में विक्रांत मैसी की फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ रिलीज होने के बाद से ही चर्चा में है. जहां इस फिल्म की तारीफ पहले ही पीएम मोदी कर चुके हैं तो वहीं अब इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने भी अपने बयान दिए हैं. हालांकि ये फिल्म रिलीज होने के पहले से ही विवादों में हैं. मालूम हो कि 2002 में हुए गोधरा कांड पर ये फिल्म बनी है. इसलिए इस फिल्म को लेकर दर्शक दो हिस्सों में बंट गए हैं.

अमित शाह ने कही ये बात

अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक यूजर के पोस्ट को री-पोस्ट किया है. साथ ही लिखा है- ‘कोई भी पावरफुल इकोसिस्टम कितनी भी कोशिश कर ले, वो सच को अंधेरे में छुपाए नहीं रख सकता. फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ अद्वितीय साहस के साथ इकोसिस्टम को चुनौती देती है और उस भयावह घटना के पीछे की सच्चाई को दिन के उजाले में उजागर करती है.’

पीएम मोदी ने की थी इस तरह प्रशंसा

पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर इस फिल्म के बारे में लिखकर तारीफों के पुल बांधे थे. कल यानी 17 नवम्बर को उन्होंने लिखा था- ‘खूब कहा है. ये अच्छा है कि ये सच सामने आ रहा है और वो भी इस तरह से कि आम लोग इसे देख सकें. एक फेक नैरेटिव सिर्फ लिमिटेड टाइम तक ही कायम रह सकता है. आखिरकार, फैक्ट हमेशा सामने आएगा.’ मालूम हो कि पीएम मोदी ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से आलोक भट्ट नाम के एक यूजर का एक्स पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए अपनी टिप्पणी की है. इस पोस्ट में फिल्म को देखने की 4 वजहें बताते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसी के साथ ही लिखा है- ‘वेल सेड’

जानें क्या कहना है एक्टर विक्रांत मैसी का?

इस फिल्म को लेकर अभिनेता विक्रांत मैसी ने एक मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा है कि 28 फरवरी के गुजरात दंगों को पूरी दुनिया ने छापा लेकिन उसके एक दिन पहले हुए गोधरा कांड पर क्या हुआ. इसके बारे में अब भी बहुत अधिक जानकारी या बातें सामने नहीं होती हैं. वह ये भी कहते हैं कि इस कांड में जिन 59 लोगों की मौत हुई उनमें से 3 के नाम भी लोग नहीं जानते. ये बड़े दुर्भाग्य की बात है.
जानें क्या है ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की कहानी?

फिल्म का ट्रेलर आने से पहले ही विवादों में

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2002 में 27 फरवरी का दिन था. गुजरात के गोधरा नाम की एक जगह में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी. इस कोच में कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या से आ रहे थे. इस अग्निकांड में 59 लोगों की जलकर मौत हो गई. इस कांड के एक दिन बाद यानी 28 फरवरी को पूरे गुजरात में दंगा फैल गया था.

करीब 3 महीनों तक अहमदाबाद और इसके आस-पास के इलाके देश की आजादी के बाद सबसे बड़ी त्रासदी की चपेट में थे और इन सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आए करीब 1000 लोगों की जान जा चुकी थी. गोधरा कांड के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इस घटना के कुछ दिनों बाद ही 2 मार्च को उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग का गठन किया था. इस आयोग में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ज जज केजी शाह और जीटी नानावटी को सदस्य बनाया गया था.

सोची-समझी साजिश था गोधरा कांड

मालूम हो कि इस आयोग द्वारा सितंबर 2008 में रिपोर्ट का प्रथम हिस्सा पेश किया गया था जिसमें इस कांड को एक सोची-समझी साजिश करार दिया गया था और इसी के बाद गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और मंत्रियों सहित कई सीनियर ऑफिसर्स को क्लीनचिट दे दी गई थी. इस आयोग के एक सदस्य जज केजी शाह का 2009 में निधन हो गया था. इसके बाद उनकी जगह गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता को सदस्य बनाया गया था. इसके बाद आयोग का नाम नानावटी-शाह आयोग से बदलकर नानावटी-मेहता आयोग कर दिया गया था.

 रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में कही गई ये बात

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिर इस आयोग ने जांच को आगे बढ़ाया और 10 साल बाद यानी 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया. इसमें भी वही बात दोहराई गई जो पहले हिस्से में थी. इस तरह से इस पूरे कांड को सोची-समझी साजिश ही करार दिया गया.

अब 2025 की जनवरी में होनी है सुनवाई

साल 2011 के मार्च महीने में इस केस को लेकर ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी करार दिया था जिसमें से 11 को मौत की सजा सुनाई गई था और शेष 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। तो वहीं इस मामले में 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया।

लाइव लॉ वेबसाइट की खबर की मानें तो इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मार्च 2011 में 31 लोगों को दोषी ठहराया. इनमें से 11 लोगों को मौत की सजा और बाकी बचे 20 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया. इसके बाद साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने उन 11 लोगों की सजा को बदलकर आजीवन कारावास कर दिया, जिन्हें मृत्युदंड दिया गया था. बाकी के 20 लोगों की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी गई. तो वहीं इसके बाद गुजरात सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की. गौरतलब है कि आने वाले साल यानी 2025 के जनवरी माह की 15 तारीख को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सुनवाई होगी.

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