हार-जीत के बीच में फंसा नोटा का चुनावी कनेक्शन
यूपी में पहले चरण के 58 सीटों पर हुए मतदान के चुनावी गणित में उलझे राजनैतिक जानकार
लखनऊ। बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के पहले चरण में आंकड़ों के अनुसार कुल 60.2 प्रतिशत मतदान हुआ। इसी के साथ यह भी सुर्रा तेजी से राजनीतिक गलियारों में दौड़ रहा है कि इस बार की हार और जीत के बीच नोटा की गहरी पैठ की संभावना है। पहले चरण के चुनाव में भी अधिक से अधिक लोगों ने नोटा के चुने जाने की उम्मीद विशेषज्ञ जता रहे हैं। ऐसे में पहले चरण के 58 सीटों पर हुए मतदान की चुनावी गणित में राजनैतिक जानकार भी उलझ गए हैं।वह ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस राजनीतिक पार्टी की तरफ जनता का झुकाव अधिक है। नोटा का डर इस कदर नेताओं में देखने को मिल रहा है कि किसान नेता राकेश टिकैत को इस मामले में बयान तक देना पड़ गया।
मालूम हो कि पश्चमी उत्तर प्रदेश पिछले एक साल से किसान आंदोलन का बोलबाला रहा है। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर रही कि यहां पर जो वोटिंग होगी, उसमें बीजेपी को पहले की तुलना मे अधिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। तो वहीं राजनैतिक विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि नोटा के इस्तेमाल किए जाने की सम्भावना अधिक दिखाई दे रही है और इस बार गत वर्षों की तुलना में वोट कम पड़ा है। जानकार मानते हैं कि अगर बड़ी संख्या में नोटा दबाया गया है तो ये चुनाव बड़े-बड़ों का खेल बिगाड़ सकती है। सम्भावना है कि ऐसी स्थिति में आशाओं व अपेक्षाओं के विपरीत भी रिजल्ट आ सकता है। फिलहाल मतगणना वाले दिन ये देखने वाली बात है कि आशंका सच है या नहीं। किसान मोर्चा के राकेश टिकैत ने नोटा को लेकर बयान दिया है और लोगों से अपील की है कि नोटा नहीं, चुनाव में वोट करें, किसानों के मुद्दों पर चोट करें। मैं परिवार के साथ मुजफ्फरनगर शहर के सर छोटूराम इंटर कॉलेज में 11 बजे मतदान करूंगा, आप भी लोकतंत्र के महायज्ञ में शामिल हों ।
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