UP Politics: राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के 8 विधायकों की पढ़ें पूरी कुंडली, जानें किसने क्यों बदला पाला, किस-किस पर दर्ज हैं मुकदमे, देखें वीडियो

February 27, 2024 by No Comments

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UP Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश में मंगलवार की सुबह 9 बजे से राज्यसभा चुनाव की 10 सीटों के लिए वोटिंग हुई. इस दौरान दिन भर सपा खेमें में घमासान मचा रहा. अखिलेश यादव के प्लान-3 पर पानी फेरते हुए सपा विधायकों ने जमकर क्रॉस वोटिंग की, जिसके कारण अब सपा के तीन में से 2 ही प्रत्याशी राज्यसभा पहुंच सकेंगे. फिलहाल क्रॉस वोटिंग और भाजपा खेमे में जाने को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं और इसको लेकर यूपी की राजनीति में जमकर चर्चा हो रही है. समाजवादी पार्टी के विधायक संग्राम यादव ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि जो लोग समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दलितों और पिछड़ों के वोट से जीते थे, उनका विवेक कहां था? आज वे अंतरात्मा की बात कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने दलितों और पिछड़ों की पीठ में छुरा घोंपा है.

तो वहीं सपा विधायकों की बगावत पर अखिलेश यादव ने कहा है, कि जो लाभ लेने वाले हैं, वो चले जाएंगे. पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) को लेकर विधायकों की यह एक परीक्षा थी. अब सब कुछ साफ हो गया है. तो वहीं खबर सामने आ रही है कि, राज्यसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है. बरेली से सपा विधायक शजिल इस्लाम का वोट अवैध घोषित कर दिया गया है.

सपा के ये हैं बागी विधायक
मीडिया सूत्रों की मानें तो चायल से विधायक पूजा पाल, ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे, कालपी से विनोद चतुर्वेदी, गौरीगंज से राकेश सिंह, गोसाईगंज से अभय सिंह, जलालपुर से राकेश पांडे, बिसौली से आशुतोष मौर्य और अमेठी से महाराजी प्रजापति ने सपा से बगावत के बाद भाजपा के प्रत्याशियों को वोट दिया है. इन सभी ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट देने की बात कही है तो वहीं अब सोशल मीडिया पर इन विधायकों के पाला बदलने की वजह भी वायरल हो रही है, किसी ने मुकदमे तो किसी ने समीकरण के कारण सपा को दगा देकर भाजपा का हाथ थामा है. ये सभी विधायक अखिलेश यादव के डिनर पार्टी में भी नहीं पहुंचे थे. सपा सूत्रों के मुताबिक 3 दिन पहले से इन विधायकों का संपर्क सपा हाईकमान से नहीं था.

पढ़ें एक-एक की पूरी कहानी

अभय सिंह अयोध्या जिले के गोसाईगंज के विधायक हैं और उनका नाम यूपी के बाहुबली नेताओं में गिना जाता है. वह कभी बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी थे. चुनावी हलफनामे को देखें तो अभय सिंह पर कुल 9 एफआईआर दर्ज हैं. हत्या, हत्या के प्रयास, गैंगस्टर और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज है. सभी मामलों की सुनवाई अभी निचली अदालत में चल रही है. यह मुकदमा लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. अभय 2012 में पहली बार गोसाईगंज सीट से विधायक चुने गए. 2017 में उन्हें बीजेपी के खब्बू तिवारी ने हरा दिया, लेकिन 2022 में सिंह फिर से इस सीट को पाने में सफलता हासिल की थी.

राकेश प्रताप सिंह अमेठी के गौरीगंज के विधायक हैं और इनकी छवि भी दबंग है. सपा में आने से पहले राकेश भाजपा में ही थे और 2021 में योगी सरकार का विरोध करते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. 2022 विधानसभा चुनाव में राकेश ने चंद्र प्रकाश मटियारी को करीब 7 हजार वोटों से चुनाव हराया. चुनावी हलफनामे के अनुसार राकेश पर 2022 के चुनाव तक 4 एफआईआर दर्ज हैं. यह मुकदमा सुल्तानपुर और अमेठी के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. आईपीसी की 153, 506, 353 और 143 की धाराओं में केस दर्ज है. 2023 में राकेश का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें वह गौरीगंज के नगरपालिका अध्यक्ष उम्मीदवार के पति के साथ मारपीट करते हुए दिखाई दे रहे थे.

महाराजी प्रजापति पूर्व केंद्रीय मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी हैं और अमेठी सदर से सपा विधायक हैं. राज्यसभा चुनाव से पहले ही उनकी मुलाकात यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से हुई थी. गायत्री की जमानत याचिका हाईकोर्ट से भी खारिज हो चुकी है. वह जेल में बंद हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आईपीसी के कई गंभीर धाराओं में भी केस दर्ज हैं. बात महाराजी की करें तो उन्होंने 2022 के चुनाव में अमेठी सदर सीट से बीजेपी के संजय सिंह को चुनाव हराया था.

राकेश पांडे अंबेडकरनगर के जलालपुर से विधायक हैं और उन्होंने भी भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिया है. उनके लिए कहा जा रहा है कि, अपने बेटे रितेश पांडे के राजनीतिक मूव के कारण उन्होंने ये फैसला लिया. चुनावी हलफनामे के अनुसार राकेश पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक मुकदमा दाखिल है. यह मुकदमा साजिश और अपराध छिपाने से जुड़ा हुआ है. अंबेडकरनगर से बीएसपी के सांसद रितेश ने हाल ही में भाजपा का हाथ थामा है. बेटे के राजनीतिक भविष्य को संवारने के लिए राकेश ने पाला बदला है. सपा में आने से पहले राकेश बहुजन समाज पार्टी में थे. राकेश की कोशिश अपने बेटे को सपा से टिकट दिलवाने की थी, लेकिन अखिलेश ने यहां लालजी वर्मा को उम्मीदवार बना दिया.

मनोज पांडे रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक हैं. वोट डालने से पहले उन्होंने सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद भाजपा के पक्ष में वोटिंग की थी. पांडे को अखिलेश यादव का करीबी माना जाता रहा है. मनोज पांडे के क्रॉस वोटिंग की वजह रायबरेली लोकसभा सीट को माना जा रहा है. वह इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन गठबंधन की वजह से सपा ने ये सीट कांग्रेस को दे दी. सूत्रों का दावा है कि पांडे को क्रॉस वोटिंग का ईनाम भी जल्द ही भाजपा की ओर से मिल सकता है. उन्हें रायबरेली सीट से लोकसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता है. 2012 में वे जब पहली बार विधायक बने, तो उन्हें कैबिनेट में शामिल किया था.

विनोद चतुर्वेदी जालौन के कालपी से विधायक हैं. उनके द्वारा क्रॉस वोटिंग करने के पीछे स्थानीय समीकरण बताया जा रहा है. चतुर्वेदी सपा में आने से पहले कांग्रेस में थे. 2022 में चतुर्वेदी ने सपा के सिंबल पर निषाद पार्टी के छोटे सिंह को हराया था. हालांकि, जीत का मार्जिन काफी कम था.

पूजा पाल चायल से विधायक हैं और वह बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल की पत्नी हैं. हालांकि पूजा के सपा छोड़ने की चर्चा 2019 से ही चल रही थी, लेकिन 2022 के चुनाव में अखिलेश ने उन पर भरोसा जताया और उन्होंने अपना दल के नागेंद्र पटेल को हराया था. 2023 में अतीक अहमद के एनकाउंटर के बाद से ही वह भाजपा सरकार के सम्पर्क में थीं और उनके पाला बदलने को लेकर चर्चा पहले से ही हो रही थी. बीजेपी पूजा को कौशांबी या फूलपुर से चुनाव से लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है.

आशुतोष मौर्य बदायूं के बिसौली से विधायक हैं और सपा के पूर्व कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं. मौर्य के पाला बदलने के पीछे बदायूं का स्थानीय समीकरण है. माना जा रहा है कि, अखिलेश यादव ने बदायूं से कद्दावर नेता शिवपाल यादव को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है. यहां स्वामी प्रसाद अपने या परिवार के लिए टिकट चाह रहे थे.

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