विश्वकर्मा पूजा आज:  विश्वकर्मा पूजा का पद्म एकादशी कनेक्शन, देखें क्या होगा लाभ, पढ़ें आरती

November 27, 2021 by No Comments

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प्रत्येक वर्ष 17 सितम्बर को होने वाली भगवान विश्वकर्मा की पूजा इस बार शुक्रवार को पड़ रही है। भगवान विश्वकर्मा को पौराणिक काल का सबसे बड़ा  सिविल इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसी परम्परा को निभाते हुए हर साल उनकी जयंती 17 सितंबर को मनाई जाती है। इस दिन 17 को कन्या संक्रांति के साथ ही पद्म एकादशी भी पड़ रही है। इसलिए यह दिन हिंदु मान्यता में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। 

इस सम्बंध में आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्‍वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्‍वर्गलोक, लंका और जगन्‍नाथपुरी का निर्माण करवाया था। उन्‍होंने ही भगवान शिव जी का त्रिशूल, विष्‍णु भगवान का सुदर्शन चक्र तैयार किया था। इसी कारण उनको इंजीनियर और तकनीकी क्षेत्र से जुडे़ लोग विश्‍वकर्मा जी को अपना भगवान मानते हैं और हर साल विश्‍वकर्मा जयंती को हर्षोल्लास से मनाते हुए उनकी पूजा करते हैं। 

विश्वकर्मा भगवान की आरती

औद्योगिक संस्थानों और कारखानों में होती है पूजा

विश्‍वकर्मा जयंती (17 सितम्बर) को सभी औद्योगिक संस्थानों और कारखानों में भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। सभी उनकी पूजा कर व्यापार व उद्योग की तरक्की और प्रगति की कामना करते हैं। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भी भगवान की पूजा करते हुए कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि, जिससे भी वो काम करते हैं और उनकी रोजी-रोटी चलती है, की पूजा करते हैं। बड़े संस्थानों, कारखानों में हवन आदि भी कराया जाता है, लोग शस्त्र और औजारों की भी पूजा करते हैं। कहते हैं कि कलयुग में तो भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करना अत्यंत जरूरी है, क्योंकि आज के युग में आधुनिक कलपुर्जों, जैसे लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल आदि के बिना आम लोगों का रह पाना मुश्किल है। 

  एकादशी व्रत का ये मिलता है लाभ
17 सितम्बर को इस बार पद्म एकादशी का व्रत पड़ रहा है। इस दिन परम्परागत रूप से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत रखने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। एकादशी करने वालों के पितर मुक्त हो जाते हैं और घर-परिवार खुशहाल होता है। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। 

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