CHAITRA NAVRATRI-2022:घोड़े पर सवार होकर आ रहीं मां भगवती दे रही हैं युद्ध के संकेत, इस बार विश्व शांति के लिए करें पूजा, देखें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

March 30, 2022 by No Comments

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नवरात्र विशेष। हिंदुओं के व्रत-उपवास का पावन पर्व नवरात्र इस बार 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है। प्रत्येक वर्ष की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से लेकर अष्टमी अथवा नवमी तक नवरात्र का पावन पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से हिंदु नववर्ष (नवसंवत्सर) की भी शुरूआत होती है। इस बार विक्रम संवत 2079 से नल नाम का संवत्सर शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म में तैतीस करोड़ देवी-देवता माने गए हैं, जिसमें साक्षत ईश्वर के रूप में भगवान विष्णु के राम व श्रीकृष्ण अवतार को ही माना जाता है। मातृशक्तियों में यही स्थान माता भगवती का माना गया है। इसीलिए पूरे नौ दिन तक माता की आराधना करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। न केवल चैत्र बल्कि शारदीय नवरात्र में भी माता की पूजा-अर्चना पूरे विधान के साथ नौ दिन तक की जाती है और नौ देवियों के साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है।

इस वर्ष चैत्र नवरात्र की शुरुआत दो अप्रैल से हो रही है और नवमी 10 अप्रैल को पड़ रही है। नवरात्र व्रत का पारण 11 अप्रैल को किया जाएगा। आचार्यों का मानें तो इस बार शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं, इस हिसाब से मां दुर्गा का आगमन तुरंग (घोड़े) पर हो रहा है। मान्यता है कि यदि माता का आगमन घोड़े पर हो तो युद्ध के हालात बनते हैं। हालांकि हम सभी जानते हैं कि रूस औऱ यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है, जिससे पूरी दुनिया चिंतित है। युद्ध के एक महीने बाद भी रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले जारी हैं। तमाम बातचीत के बावजूद दोनों देशों में कोई समझौता नहीं हुआ है। ऐसे में पूरी दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर आशंकित है। चूंकि भारत धर्म-अध्यात्म वाला देश है, इसलिए कहते हैं कि माता की नौ दिन तक पूरे मन से पूजा करने से सारे संकट कट जाते हैं। तो इस बार आइए, हम सभी पूरी दुनिया में शांति की प्रार्थना माता से करें। यहां याद दिला दें कि शारदीय नवरात्र 2021 में 7 अक्टूबर से शुरू हुए थे, तब भी युद्ध की आशंका जताई गई थी और फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हो गया। इससे साफ जाहिर होता है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में लिखे गए आंकलन व भविष्यवाणी, कभी गलत नहीं होती।

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
आचार्य पुष्पलता पाण्डेय के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर चंद्रमा मीन राशि में रहेगा। इसी के साथ रेवती नक्षत्र और व इंद्र योग बन रहा है। इसी दिन घटस्थापना (कलश स्थापना) की जाएगी। मान्यता है कि नवरात्र में घट स्थापना करने के साथ ही जौ बोने व नवमी तक दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन व कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इस बार चैत्र की प्रतिपदा एक अप्रैल को सुबह 11:53 से शुरू होकर दो अप्रैल को सुबह 11:58 पर समाप्त हो रही है। चूंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी गई है, इसलिए 2 अप्रैल को ही घटस्थापना के दो शुभ मुहूर्त हैं। शनिवार दो अप्रैल को प्रातःकाल 06.10.45 से 08.29.43 तक अर्थात 2 घंटा 18 मिनट तक घटस्थापना की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक है। घटस्थापना को लेकर यह मान्यता है कि इस घट (कलश) में सभी तीर्थ औऱ देवी-देवताओं का वास होता है, जो माँ दुर्गा की आराधना में बहुत सहायक होता है। घटस्थापना करके माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों का विधिवत पूजन करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।

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मां के इन नौ रूपों की होगी पूजा
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां भगवती के नौ रूपों की पूजा करने का विधान है। प्रथम नवरात्र में मां शैलपुत्री, द्वितीय नवरात्र में मां ब्रहाचारिणी, तृतीय नवरात्र में मां चन्द्रघण्टा, चतुर्थ नवरात्र में कूष्माण्डा, पंचम नवरात्र में मां स्कन्दमाता, षष्ठ नवरात्र में मां कात्यायनी, सप्तम नवरात्र में मां कालरात्री, अष्टम में मां महागौरी, नवम् में मां सिद्विदात्री के पूजन का विधान माना गया है। दुर्गा देवी के तीन रूप सरस्वती, लक्ष्मी व काली क्रमशः सत, रज और तम गुणों के प्रतीक हैं। वैसे तो प्रतिपदा से लेकर नवमी तक दिन में एक बार फलहारी भोजन के साथ इस व्रत को करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है लेकिन पूरे व्रत नहीं कर सकते हैं तो पहला और आखरी व्रत भी किया जा सकता है। हालांकि बहुत से लोग आखिरी के दो दिन व्रत रखकर कन्या पूजम व हवन आदि करते हैं।

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महत्वपूर्ण जानकारी
शास्त्रों के मुताबिक अगर नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व अर्थात घोडे व तुरंग पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार से प्रारंभ होते हैं तो माता डोली पर सवार होकर आती हैं।

ध्यान दें- यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। Khabar Sting इसकी पुष्टि नहीं करता।)

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