CHAITRA NAVRATRI-2022:प्रतिपदा को पूजी जाएंगी मां शैलपुत्री, पान और गुलाब की सात पंखुड़ियों से प्रसन्न होकर मां देंगी ये लाभ, देखें आरती औऱ मंत्र
नवरात्र स्पेशल। चैत्र नवरात्र 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहे हैं। इस बार नौ दिन की नवरात्र पड़ रही हैं। पहले दिन प्रतिपदा को मां भगवती के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस सम्बंध में आचार्य विनोद कुमार मिश्र ने बताया कि जिसे लक्ष्मी अर्थात धन की प्राप्ति करनी हो, वह नवरात्र के पहले दिन मां भगवती को पान और गुलाब की सात पंखुड़ियां अर्पित करें। ऐसा करने से मां प्रसन्न होंगी और धीरे-धीरे आपके जीवन नें आर्थिक लाभ हो सकेगा। अगर पहले दिन यह कार्य न कर सकें तो नवरात्रि के दौरान किसी भी दिन इस कार्य को कर सकते हैं।
प्रथम स्वरूपा माँ शैलपुत्री बचाती हैं प्राकृतिक आपदा से
नवरात्र के नौ दिन तक मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन मां भगवती के शैलपुत्री रूप की पूजा होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि माँ दुर्गा के 9 रूपों में प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री का है। नवरात्र के पहले दिन माँ के इसी रूप की विधि विधान से पूजा करने की परम्परा बरसों से चली आ रही है। एक कथा के अनुसार शैलराज हिमालय राज कि कन्या होने के कारण ही माँ का नाम शैलपुत्री पड़ा। माँ का यह रूप अति सुन्दर और भक्तो को सुख पहुंचाने वाला है। अगर मां की छवि की बात करें तो उन्होंने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प ले रखा है। माँ वृषभ वाहन पर सवार रहती हैं।
इसलिए माँ को भक्त वृषारूढ़ा देवी कहकर भी बुलाया जाता है। उनके हाथ में सुशोभित कमल पुष्प को अविचल ज्ञान और शांति का प्रतीक माना गया है। मां शैलपुत्री भी भगवान शंकर की तरह ही पर्वतों पर रहती हैं। प्रत्येक प्राणी में माँ का स्थान नाभि चक्र से नीचे स्थित मूलाधार चक्र में होता है। यही वह स्थान है जहां माँ कुंडलिनी के रूप में विराजमान रहती हैं। मान्यता है कि माँ की उपासना में योगी एवं साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। इसी स्थान से योग साधना का आरम्भ भी माना गया है। बता दें कि माँ का यह अद्भुत रूप साधक को साधना में लीन होने की शक्ति प्रदान करता है। साथ में ही साहस एवं बल भी देता है। आरोग्य का वरदान देता है। सभी प्रकार के वन्य जीव-जंतुओं पर माँ की हमेशा कृपा बनी रहती है। शास्त्रों व पुराणों की मानें तो मां शैलपुत्री की जो पूजा करता है, उसे वह आकस्मिक व प्राकृतिक आपदाओं से भी मुक्त करती हैं। साथ ही भक्तों के जीवन में धन, वैभव, मान सम्मान और प्रतिष्ठा का धीरे-धीरे विकास होने लगता है। शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए भी माँ कि पूजा कर सकते हैं।
पहले दिन एक कन्या को दें ये उपहार
प्रथम शैलपुत्री की पूजा में सफेद और लाल रंग का फूल चढ़ायें। गाय के दूध से बने पकवान एवं मिष्ठान का भोग लगाएं। ऐसा करने से दरिद्रता दूर होती है और परिवार रोग मुक्त होता है। अगर माँ को प्रसन्न करना चाहते है तो एक कन्या को कंघा, हेयर ब्रश, हेयर क्रीम या बैंड उपहार मे दें। पिपरमेंट युक्त मीठे मसाले का पान, अनार या गुड़ से बने पकवान शैलपुत्री मां को बहुत पसंद है। हो सके तो ये भी मां को अर्पित कर सकते हैं।
मन्त्र
वंदे वांछित लाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम।
आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार।
करें देवता जय जय कार ।।
शिव शंकर की प्रिय भवानी ।
तेरी महिमा किसी ने न जानी ।।
पार्वती तू उमा कैहलावे।
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावे।।
रिद्धि सिद्धि परवान करे तू।
दया करें धनवान करे तू ।।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी ।।
उसकी सगरी आस पुजा दो ।
सगरे दुख तकलीफ मिटा दो ।।
घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाये ।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाये।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे ।।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपति भर दो।।
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