CHAITRA NAVRATRI-2022:पंचम स्कन्दमाता को लगाएं केले का भोग, छात्र ज्ञान, बुद्धि के लिए मंत्रों के साथ चढ़ाएं 6 इलायची, कन्याओं को दान में दें पाठ्य सामग्री अथवा ये कीमती सामान

April 5, 2022 by No Comments

Share News

नवरात्र स्पेशल। नवरात्र की पंचमी तिथि को माँ शक्ति के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करने का विधान शास्त्रों में दिया गया है। आचार्य पुष्पलता पाण्डेय बताती हैं कि देव सेनापति बनकर तारासुर का वध करने वाली तथा मोर को वाहन रूप में अपनाने वाली स्कन्द की माता होने के कारण ही माँ के इस विग्रह को स्कंदमाता के नाम से पुकारा जाता है। योगीजन इस दिन पुष्कल चक्र या विशुद्ध चक्र में अपना मन एकाग्र करके माता की आराधना करते हैं। यही चक्र प्राणियों में माँ का स्थान माना गया है। मां स्कन्दमाता को ज्ञान की देवी भी माना गया है। इसलिए अगर पूरे मन और एकाग्रता के साथ विद्यार्थी इनकी पूजा करते हैं तो, उनको अपने करियर और परीक्षा में सफलता अवश्य मिलती है।

LU LAW STUDENTS:विदेश जाकर अध्ययन करने के इच्छुक LAW स्टुडेंट्स के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय 6 अप्रैल को करने जा रहा है खास आयोजन, देखें पूरी जानकारी

जेल से छूटते ही दुष्कर्म आरोपित को पहनाई गई माला, लक्जरी गाडियों के साथ निकला काफिला, लगे नारे, “जेल का ताला टूट गया, राजन पंडित छूट गया”, देखें वीडियो, मुकदमा दर्ज

सर्व ब्राह्मण समाज का फाग उत्सव: जमकर हुई फूलों की बारिश और नृत्य, राधा-कृष्ण और हनुमान जी ने मोहा मन, देखें वीडियो

अविवाहित बुजुर्ग महिला ने राहुल गांधी के नाम की अपनी सारी सम्पत्ति, जानें ये बड़ी वजह, महिला का दावा, जवाहरलाल नेहरू से उनके पिता के थे गहरे सम्बंध

इस तरह है मां का विग्रह
शास्त्रों में माँ के विग्रह स्वरूप को चार भुजाओं वाला बताया गया है। इस रूप में माँ ने अपनी गोद में भगवान स्कंद को बैठा रखा है। इसी के साथ दाहिनी ओर की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प वरण कर रखा है। तो बाएं ओर की ऊपर वाली भुजा में माँ भक्तों को आशीर्वाद और वर प्रदान करते हुए दिखाई देती हैं। माँ का स्वरुप पूरी तरह से निर्मल कांति वाला श्वेत है। इसी के साथ मां कमल आसन पर विराजनमान होती हैं। वाहन के रूप में माँ ने सिंह को अपनाया है और इसी पर अपनी सवारी करती हैं। मान्यता है कि माँ की उपासना से साधक को मृत्युलोक में ही परम शांति और सुख की प्राप्ति हो जाती है, जो नवरात्र के दिनों में माँ की पूजा पूरे विधि- विधान और एकाग्रचित्त होकर करता है तो माता उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं और अपने भक्तों को कष्ट से बचाती हैं।

LU:लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने सम्बद्ध LAW कॉलेजों से कहा, छात्रों को LAW फर्मों अथवा न्यायालयों में भेजें इंटर्नशिप के लिए, देखें लॉ स्टुडेंट्स को क्या सौंपी गई है जिम्मेदारी

अपराध अनुसंधान विभाग में तैनात सिपाही ही हो गए हनीट्रैप का शिकार, पहले वीडियो कॉल कर दिखाया गया अश्लील वीडियो, फिर आइजी बनकर दी गई निलम्बित कर देने की धमकी और ऐंठ लिए गए 83 हजार

LUCKNOW UNIVERSITY:लखनऊ विश्वविद्यालय ने छात्र हित में लिए महत्वपूर्ण फैसले, देखें 9 प्वाइंट्स, जानें कैसे करें प्रवेश परीक्षा की तैयारी

कन्याओं को उपहार में दें ये सामग्री
ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की साधना करने वालों की सेहत तो अच्छी रहती ही है, साथ ही उनमें ज्ञान, बुद्धि व चेतना का भी विकास होता है। साथ ही तांत्रिक तंत्र की भी प्राप्ति होती है। किसी भी रोग से मुक्त होने के लिए माता स्कन्द की पूजा नवरात्र से शुरू कर के प्रतिदिन करने से लाभ प्राप्त होता है। नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों को केले का भोग लगाना चाहिए और फिर प्रसाद के रूप में इसे वितरित करना चाहिये। ऐसा करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है। माँ की साधना से असाध्य रोगों का निवारण भी होता है और गृह क्लेश से भी मुक्ति मिलती है। बुद्धि, ज्ञान व बल में वृद्धि के लिए देवी स्कंदमाता को मंत्रों के साथ छह इलायची चढ़ाएं। इसी के साथ किसी कन्या को सोने व चांदी की चीज भी भेंट करें। अगर किसी कारणवश नवरात्र की पंचमी को माता की पूजा नहीं कर सके हैं, तो अष्टमी को इसी विधि-विधान के साथ माता की पूजा करें औऱ कन्या भोज कराते वक्त कन्याओं को पाठ्य सामग्री अथवा सोने-चांदी की चीज भेंट करें।

मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता।
पांचवा नाम तुम्हारा आता।।
सबके मन की जानन हारी ।
जगजननी सब की महतारी।।

तेरी जोत ज़लाता रहूं मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं ।।
कई नामों से तुझे पुकारा ।
मुझे एक है तेरा सहारा।।

कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा ।।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।।

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो ।।
इंद्र आदि देवता मिल सारे ।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे ।।

दुष्ट दैत्य जब चढ़कर आए ।
तू ही खं डा हाथ उठाए।।
दासो को सदा बचाने आई।
भक्तों की आस पुजाने आई।।

नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)

अन्य महत्वपूर्ण खबरों पर भी डालें नजर-

नकली बालों के अंदर गोंद से चिपका कर एक यात्री दुबई से ले आया 15 लाख का सोना, लखनऊ एयरपोर्ट पर दबोचा गया, कस्टम टीम ने किया पुलिस के हवाले

CHAITRA NAVRATRI-2022: शोहरत पाने के लिए चतुर्थ मां कुष्मांडा को चढ़ाएं मालपुआ, कन्याओं को उपहार में दें कोल्ड क्रीम, देखें आरती व मंत्र

LU-SIH 2022: स्मार्ट इंडिया हैकथॉन- 2022 में शामिल होने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय शुरू करने जा रहा है आंतरिक हैकथॉन, 8 अप्रैल तक करें पंजीकरण, देखें प्रतियोगिता की 16 थीम्स के साथ पूरी जानकारी

सड़क पर मोबाइल चलाना एक पुलिसकर्मी को पड़ा महंगा, पीछे से सांड़ ने आकर पटक दिया, चुटहिल, देखें वीडियो