CHAITRA NAVRATRI-2022: मां के तृतीय रूप चंद्रघंटा की महिमा है अपार, कष्ट से दूर रहना है तो करते रहें पूजा हर बुधवार, कन्याओं को भेंट करें रोली, आईना व खिलौना, जानें किस रंग का फूल है मां को पसंद
नवरात्र विशेष। नवरात्र की तृतीया पर माँ शक्ति के तीसरे शक्ति विग्रह चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना का विधान शास्त्रों में वर्णित किया गया है। आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि शास्त्रों की मानें तो माँ के इस स्वरूप का रंग सोने के समान चमकीला और तेजस्वी है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र स्थित है। इसी वजह से उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। भक्तों को मालूम हो कि माँ के इस अद्भुत स्वरुप के दस हाथ हैं, जिसमें से एक हाथ में उनके कमल का फूल, दूसरे हाथ में कमंडल, तीसरे में त्रिशूल, चौथे में गदा, पांचवें में तलवार, छठे में धनुष, सातवें हाथ में बाण है। वहीं मां के आठवां हाथ ह्रदय पर और नौवां हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है तो उनका दसवां हाथ सदैव अभय मुद्रा में रहता है।
सफेद फूलों की माना सुशोभित होती है मां के गले में
माँ के गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित होती है। उनका वाहन बाघ है। देवधरियों मे माँ के इस रूप का स्थान मणिपुर चक्र माना गया है। साधक ज़ब भी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो वह मणिपुर चक्र में अपना ध्यान लगाते हैं। माँ की कृपा से श्रद्धालुओं को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अहसास होता है। साथ ही दिव्य ध्वनियां भी सुनाई पड़ती हैं। माँ का यह स्वरूप दानव, दैत्य और राक्षसों को डराने वाला है। माँ की प्रचंड ध्वनि दानवों को हारने के लिए मजबूर कर देती है। ऐसा माना जाता है कि जहां तक माँ के घंटे की ध्वनि जाती है वहाँ तक बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है और तमाम नकारात्मक शक्तियां समाज से भागने के लिए मजबूर हो जाती हैं। वहीं भक्तों के लिए मां का यह स्वरूप सौम्य, शांत और सुख पहुंचाने वाला माना गया है। इसीलिए भक्तों को चाहिए कि पूरे मन से माँ चंद्रघंटा की पूजा करें ताकि किसी तरह की नकारात्मक शक्ति का वास उनके आस-पास न हो सके। मां की पूजा प्रत्येक बुधवार को करने से जीवन में कष्ट आने की सम्भावना कम रहती है।
मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता
प्रसादं तनुते मध्यं
चण्डघण्टेति विश्रुता
कन्याओं को ये सामग्री करें भेंट
नवरात्र के तीसरे दिन मां शक्ति के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा करने से घर के साथ ही मन में भी शांति बनी रहती है। इसी के साथ परिवार का कल्याण भी होता है। इस दिन मां को दूध या इससे से बनी चीजें अर्पित करें। इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होगी और दुख, संकट दूर होगा। मां को सफेद फूलों के साथ-साथ लाल फूल भी प्रिय है, इसलिए हो सके तो लाल फूल अर्पित करें। साथ ही गुड़ और लाल सेब का भोग लगाएं। चंद्रघंटा मां की आरती के समय घंटा बजाने का भी विधान है। माँ को प्रसन्न करने के लिए कन्याओं को आईना, रोली और खिलौना आदि भेंट करें। अगर तीसरे दिन ये सामग्री कन्याओं को नहीं भेंट कर सकते तो जब भी कन्या खिलाएं तब यह सामग्री भेंट कर दें।
आरती
जय मां चंद्रघंटा सुखधाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम ।।
समाज तू शीतल दाती ।
चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली ।
मीठे बोल सिखाने वाली ।।
मन की मालक मन भाती हो ।
चंद्रघंटा तुम वरदाती हो ।।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट से बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये ।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाये।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाए ।
सन्मुख घी की जोत जलाये।।
शीश झुका कहें मन की बाता ।
पूर्ण आस करो जगतदाता ।।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा ।
कर्नाटका में मान तुम्हारा ।।
नाम तेरा रटूं महारानी ।
भक्तों की रक्षा करो भवानी।।
नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)
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