CJI Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश…उनके चाचा ने इमरजेंसी के दौरान इंदिरा सरकार के खिलाफ दिया था ये ऐतिहासिक फैसला
CJI Sanjiv Khanna: देश के नए मुख्य न्यायाधीश मिल गए हैं. जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में उन्हें पद की शपथ दिलाई. वह चुनावी बॉन्ड योजना खत्म करने और अनुच्छेद 370 निरस्त करने जैसे कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. मालूम हो कि उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक यानी करीब 6 महीने तक का ही होगा. उनको आपराधिक, सिविल, टैक्स और संवैधानिक कानूनों का बड़ा जानकार माना जाता है.
इंदिरा गांधी ने तब जूनियर को बना दिया था चीफ जस्टिस
बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे थे तो वहीं उनके चाचा देश के सबसे सम्मानित जजों में से एक जस्टिस हंस राज खन्ना थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि तत्कालीन इंदिरा गांधी ने उनकी बजाय उनसे जूनियर जज को चीफ जस्टिस बना दिया जिसके बाद जस्टिस हंस राज खन्ना ने इस्तीफा दे दिया था.
दरअसल जस्टिस हंस राज खन्ना ने 1976 में इमरजेंसी के दौरान सरकार के खिलाफ जाने वाला ऐतिहासिक फैसला दिया था. जस्टिस हंस राज खन्ना 5 जजों की बेंच के अकेले ऐसे जज थे, जिन्होंने कहा था कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार इमरजेंसी में भी बाधित नहीं किया जा सकता. यही वजह रही कि इंदिरा गांधी ने एक तरह से बदला लेते हुए उनसे जूनियर जज को चीफ जस्टिस बना दिया था.
#WATCH | Delhi: Justice Sanjiv Khanna took oath as the 51st Chief Justice of India at Rashtrapati Bhavan in the presence of President Droupadi Murmu, PM Narendra Modi and other dignitaries. pic.twitter.com/PbFsB3WVVg
— ANI (@ANI) November 11, 2024
दिल्ली विश्वविद्यालय से की है पढ़ाई
जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की है तो वहीं दिल्ली के मॉडर्न स्कूल और सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की है. लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट से वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. इसके बाद 2005 में वह दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने. फिर जनवरी 2019 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए.
सुनाए ये बड़े फैसले
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दौरान मतगणना में VVPAT और EVM के 100 प्रतिशत मिलान की मांग को उन्होंने ठुकरा दिया था. तो वहीं दूसरी ओर ये भी आदेश दिया था कि चुनाव परिणाम के 7 दिन के अंदर उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है. ऐसी स्थिति में माइक्रो कंटोलर मेमोरी की जांच इंजीनियर करेंगे. इसी के साथ ही ये भी कहा था कि इस प्रक्रिया का खर्च उम्मीदवार को उठाना पड़ेगा.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने अब तक के कार्यकाल में कई बड़े फैसले किए हैं. उन्होंने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी.
तो वहीं आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को बेल देते वक्त कहा था कि PMLA कानून के सख्त प्रावधान किसी को बिना मुकदमा लंबे समय तक जेल में बंद रखने का आधार नहीं हो सकते.
इसी के साथ ही उन्होंने विवाह के सम्बंध में फैसला दिया था कि अगर किसी शादी को जारी रखना असंभव हो, तो सीधे सुप्रीम कोर्ट अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर तलाक का आदेश दे सकता है.
उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफिस के सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का भी फैसला दिया था.
हाल ही में इलेक्टोरल बांड को लेकर जमकर चर्चा छिड़ी थी तो वहीं जस्टिस संजीव खन्ना इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाली बेंच के सदस्य रहे.
President Droupadi Murmu administers oath to Justice Sanjiv Khanna as 51st Chief Justice of India at Rashtrapati Bhavan.#CJI | #SC | #SanjivKhanna | #ChiefJusticeofIndia pic.twitter.com/G8jiVh7x3n
— All India Radio News (@airnewsalerts) November 11, 2024
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