Glacier: खतरे में दुनिया…इस देश में खत्म हो गए सभी ग्लेशियर, अब इनकी बारी
Venezuela Last Glacier: जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से दुनियाभर में गर्मी की बढ़ती जा रही है. तो वहीं मौसम भारी बारिश, पानी की कमी, आग लगने की घटनाएं और लोगों को भीषण बाढ़ से जूझना पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव दुनिया के ग्लेशियरों पर पड़ रहा है। ताजा खबर दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला से आई है जो कि दुनिया को डरा देने वाली है क्योंकि वेनेजुएला में मौजूद सभी ग्लेशियर खत्म हो गए हैं जबकि कभी यहां पर छह ग्लेशियर हुआ करते थे।
पहले ही खत्म हो गए पांच ग्लेशियर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वेनेजुएला में मौजूद पांच ग्लेशियर पहले ही खत्म हो चुके थे और अब आखिरी बचा ग्लेशियर भी खत्म हो गया है. इसको लेकर दुनिया भर में चिंता बढ़ गई है. यह दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां जलवायु परिवर्तन के कारण सभी ग्लेशियर खत्म हो गए हैं। आखिरी ग्लेशियर इतना सिकुड़ चुका है कि वैज्ञानिकों ने इसे बर्फ के मैदान के तौर पर वर्गीकृत किया है। इस तरह से अब वेनेजुएला में एक भी ग्लेशियर नहीं रह गया है.
एक छोटा बर्फ का टुकड़ा बचा
लॉस एंडीज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जूलियो सीजर सेंटेनो ने मीडिया को जानकारी दी कि दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में अब एक भी ग्लेशियर नहीं है। अब सिर्फ एक छोटा सा बर्फ का टुकड़ा है, जो अपने मूल आकार का सिर्फ 0.4 फीसदी बचा है। जलवायु वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है कि इंडोनेशिया, मैक्सिको और स्लोवेनिया के भी ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं।
कुछ सालों में तेजी से घट रही है ग्लेशियरों की संख्या
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुछ सालों में ग्लेशियरों की संख्या तेजी से घटी है. वेनेजुएला के पांच ग्लेशियर 2011 तक खत्म हो चुके थे। सिर्फ हम्बोल्ट ग्लेशियर बचा था। देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पिको हम्बोल्ट के पास यह ग्लेशियर स्थित था। इसके अभी कम से कम एक दशक तक रहने की संभावना थी लेकिन अब यह पूरी तरह पिघल चुका है।
बढ़ रहा है पूरी दुनिया का औसत तापमान
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरी दुनिया का औसत तापमान बढ़ रहा है और बर्फ पिघल रही है जिस वजह से दुनिया भर में समुद्र का जल स्तर भी बढ़ रहा है। डरहम विश्वविद्यालय के ग्लेशियोलॉजिस्ट कैरोलिन क्लासन की रिपोर्ट के मुताबिक वेनेजुएला के आखिरी ग्लेशियर पर अधिक बर्फ नहीं जमी है। इस साल मार्च में लॉस एंडीज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने देखा कि यह ग्लेशियर अब सिर्फ दो हेक्टेयर में रह गया है, जो पहले 450 हेक्टेयर में फैला था।
दुनिया भर में मंडरा रहा है खतरा
अल नीनो जैसी जलवायु घटनाओं से तापमान बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर के ग्लेशियर पर खतरा मंडरा रहा है। बढ़ते तापमान की वजह से दुनिया भर में ग्लेशियरों के पिघलने की गति तेज हुई है। अब शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मैक्सिको और स्लोवेनिया के साथ ही इंडोनेशिया जैसे देशों में ग्लेशियर के खत्म होने का खतरा है।
नासा ने 2018 में मानी थी ये बात
शोधकर्ताओं के बयान के मुताबिक ग्लेशियर के तौर पर योग्य होने के लिए बर्फ के एक टुकड़े के न्यूनतम आकार को लेकर कोई वैश्विक मानक नहीं है। तो वहीं अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने कहा है कि आमतौर पर स्वीकृत दिशानिर्देश करीब 10 हेक्टेयर है। नासा ने साल 2018 में माना था कि यह वेनेजुएला का आखिरी ग्लेशियर है।