HOLI-2022:होलाष्टक 10 मार्च से शुरू, 17 को होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री व पूजा विधि
होली विशेष। हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार होली इस बार 17 मार्च 2022 को मनाई जाएगी। इस लिहाज से होलाष्टक (सूतक) 10 मार्च से लग रहे हैं, जिसका समापन होलिका दहन के साथ 17 मार्च को होगा। इस दौरान हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य, विवाह आदि प्रतिबंधित रहेंगे। हर वर्ष की तरह इस बार भी होलिका दहन को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, लेकिन उज्जैन के ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद आचार्य कमलकांत कुलकर्णी के मुताबिक 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 18 मार्च को रंग खेला जाएगा। क्योंकि 17 को फाल्गुन शुक्ल एकादशी है और 18 को पूर्णिमा है और होली का त्योहार फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
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आचार्य के अनुसार 10 मार्च से होलाष्टक शुरू हो रहा है, जो कि 17 मार्च तक रहेगा। इस दौरान शुभकार्य वर्जित रहेंगे। इस दौरान वास्तुशांति, मांगलिक कार्य, विवाह संस्कार बंद रहेंगे। हालांकि पूरे मार्च में शुभ कार्यों के लिए कोई भी शुभ मुहुर्त नहीं है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
17 मार्च को रात एक बजे से बाद होलिका दहन का मुहूर्त है। इससे पहले भद्रा रहेगी। भद्रा में होलिका दहन करना शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है।
होलिका दहन की पूजा विधि व सामग्री
ज्योतिषाचार्यों का मानें तो होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा की परम्परा है। मान्यता है कि होलिका की पूजा करने से पूजा करने वाले की हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं और साल भर उसे कार्यों में सफलता मिलती है और उसके घर में शुभ कार्य होते रहते हैं। होलिका दहन के दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद उस स्थान पर जाएं, जहां पर होलिका एकत्र की गई है। बता दें कि देश भर में जगह-जगह चौराहे व पार्क में लकड़ी एकत्र कर प्रतीक स्वरूप होलिका का निर्माण किया जाता है।
कहीं-कहीं होलिका का पुतला भी रखा जाता है, जिसकी गोद में प्रहलाद का भी पुतला होता है। होलिका की पूजा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना,चना के साथ ही गोबर से बने ढाल, तलवार, खिलौना की माला, गुलाल, फूल, गुझिया, नारियल आदि अर्पित करें। साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी करें। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें। यह पूजा महिलाओं द्वारा की जाती है।
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