Iraq: इराक में 9 साल की बच्चियों से शादी करने के लिए कानून में संशोधन, जानें क्यों लिया गया ये फैसला?

November 12, 2024 by No Comments

Share News

Iraq: इराक में अब 9 साल की लड़कियों से भी शादी की जा सकेगी. इसके लिए इराकी सरकार विवाह कानून में संशोधन करने को लेकर पूरी तैयारी कर चुकी है. माना जा रहा है कि कानून में जल्द ही संशोधन होगा और इस के बाद पुरुष नौ साल की उम्र की लड़कियों से शादी कर सकेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित संशोधन विवाह की कानूनी आयु को कम करने के साथ ही महिलाओं के तलाक, बच्चे की कस्टडी और विरासत के अधिकारों को भी समाप्त कर देगा।

पहले भी हो चुकी है कानून बदलने की कोशिश

तो वहीं इसको लेकर शासी गठबंधन का कहना है कि यह कदम इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या के अनुरूप है और इसका उद्देश्य युवा लड़कियों को “अनैतिक संबंधों” से बचाना है। मालूम हो कि कानून 188 में संशोधन का दूसरा हिस्सा 16 सितंबर को पारित किया गया। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है, जब इराक में शिया दलों ने व्यक्तिगत स्थिति कानून में संशोधन करने की कोशिश की है। इसे बदलने की कोशिश 2014 और 2017 में भी की गई थी लेकिन सफलता नहीं मिली थी क्योंकि इसके खिलाफ इराकी महिलाओं ने विरोध किया था.

तो वहीं यूके मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार विवाह कानून के साथ महिलाओं को तलाक, बच्चों की देखभाल और विरासत के अधिकार से वंचित करने के लिए भी संशोधन प्रस्तावित हैं। विधेयक में नागरिकों को पारिवारिक मामलों पर निर्णय लेने के लिए धार्मिक प्राधिकारियों या सिविल न्यायपालिका में से किसी एक को चुनने की भी अनुमति होगी।

ये संशोधन पलट देगा कानून

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इराक की संसद, जिसमें रूढ़िवादी शिया मुस्लिम दलों के गठबंधन का प्रभुत्व है, एक संशोधन के माध्यम से मतदान करने की तैयारी कर रही है जो देश के ‘व्यक्तिगत स्थिति कानून’ को पलट देगा जिसे कानून 188 के रूप में भी जाना जाता है. इस कानून को मध्य पूर्व में सबसे प्रगतिशील में से एक के रूप में घोषित किया गया था, जब इसे 1959 में पेश किया गया था और यह इराकी परिवारों के मामलों को नियंत्रित करने वाले नियमों का एक व्यापक सेट प्रदान करता है, चाहे
उनका धार्मिक संप्रदाय कुछ भी हो।

रिपोर्ट के मुताबिक, अब गठबंधन के पास एक बड़ा संसदीय बहुमत भी है और वह संशोधन को आगे बढ़ाने की स्थिति में काफी मजबूत हैं. इसको लेकर एक वरिष्ठ शोध साथी डॉ रेनाड मंसूर ने टेलीग्राफ को बताया, प्रस्तावित संशोधन शिया इस्लामवादी समूहों द्वारा अपनी शक्ति को मजबूत करने और वैधता हासिल करने के लिए एक व्यापक राजनीतिक कदम का हिस्सा था। इससे पहले उन्होंने ये भी कहा कि ‘यह अब तक का सबसे करीबी है। इसमें पहले से कहीं अधिक गति है, मुख्य रूप से शिया पार्टियों की वजह से यह सभी शिया पार्टियों के लिए नहीं है, यह केवल कुछ विशिष्ट पार्टियों के लिए है जो सशक्त हैं और वास्तव में इसे आगे बढ़ा रही हैं।’ उन्होंने द टेलीग्राफ से कहा, ‘धार्मिक पक्ष पर जोर देना उनके लिए वैचारिक वैधता को पुनः प्राप्त करने का एक तरीका है, जो पिछले कुछ वर्षों में कम होती जा रही है।’ (फीचर फोटो सांकेतिक है, सोशल मीडिया से ली गई है)

ये भी पढ़ें-“मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है…” महाकुंभ से पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुसलमानों पर दिया बड़ा बयान…गौ माता को लेकर कही ये बात-Video