LUCKNOW:जीपीओ का नाम बदल कर पं राम प्रसाद बिस्मिल नाम रखने और उनकी प्रतिमा लगाने की मांग, इसी जगह सुनाई गई थी फांसी की सजा, लखनऊ जिला जेल में ही रखे गए थे बिस्मिल, जानें क्यों डरते थे अंग्रेज
लखनऊ। काकोरी क्रांति के प्रमुख पं राम प्रसाद बिस्मिल की 125वीं जयंती पर के अवसर पर लखनऊ स्थित जीपीओ का नाम बदलकर पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर रखने की मांग की गई। भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में शनिवार को जीपीओ स्थित काकोरी स्मृति शिलालेख पर पं राम प्रसाद बिस्मिल की 125वीं जन्म जयन्ती मनाई गई और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।
इस मौके पर भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री और महामंत्री रीना त्रिपाठी ने उप्र सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से माँग की कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में और पं राम प्रसाद बिस्मिल के 125वीं जन्म जयन्ती वर्ष में जीपीओ का नाम पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर रख दिया जाये और जीपीओ में पं राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा लगाई जाये। मुख्य वक्ता ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने पं राम प्रसाद बिस्मिल के यशस्वी क्रांतिकारी जीवन की कई घटनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि ब्रिटिश हुकूमत पं राम प्रसाद बिस्मिल से इतना खौफ खाती थी कि उनके ऊपर कत्ल का कोई इल्जाम न होते हुए भी उन्हें फाँसी की सजा दी गई।
अंग्रेज जज हेमिल्टन ने अपने फाँसी के आदेश में कहा था कि यह कोई साधारण ट्रेन डकैती नहीं, अपितु ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश थी। हालाँकि इनमें से कोई भी अभियुक्त अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये इस योजना में शामिल नहीं हुआ परन्तु चूँकि किसी ने भी न तो अपने किये पर कोई पश्चाताप किया है और न ही भविष्य में इस प्रकार की गतिविधियों से स्वयं को अलग रखने का वचन दिया है अतः जो भी सजा दी गयी है सोच समझ कर दी गयी है और इस हालत में उसमें किसी भी प्रकार की कोई छूट नहीं दी जा सकती।
पं राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फाँसी की सजा इसी जीपीओ में सुनाई गई थी, जिसका नाम रिंग थीएटर था और इसे अस्थायी कोर्ट बनाया गया था। पं राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों को लखनऊ जिला जेल में रखा गया था और मुकदमे की सुनवाई के लिये उन्हें पुरानी जेल से केकेसी के सामने से होते हुए जीपीओ लाया जाता था। पुरानी जेल रोड का नाम भी पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर जनवरी 2022 में लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने कर दिया है किन्तु तदनुरूप मार्ग के पत्थर अभी नहीं लगे हैं जिन्हें लगाया जाए। अतः आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जीपीओ का नाम पं राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर किये जाने और जीपीओ में उनकी प्रतिमा स्थापित किये जाने की भारतीय नागरिक परिषद की माँग सर्वथा उचित है।
पं राम प्रसाद बिस्मिल के क्रांतिकारी जीवन पर एचएन पांडेय, वाईएन उपाध्याय, अनिल सिंह, अजय तिवारी, आकाश मिश्र, प्रेम तिवारी, सरोजबाला सोनी, गीता वर्मा, सुमन दुबे, मो. इब्राहिम, सच्चिदानंद पांडेय, तरुण शर्मा, रमेश शुक्ला, महेश मिश्रा, विनायक मिश्र, मिथिलेश कुमार राजू शुक्ला, त्रिवेणी मिश्रा, राममोहन मिश्र, धीरज त्रिपाठी और कई अन्य लोगों ने विचार रखे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कर्मचारी, अधिकारी, बुद्धिजीवी और आम लोग उपस्थित रहे।