महाकुंभ में 13 साल की किशोरी को संन्यास दिलाने वाले महंत पर हुई बड़ी कार्रवाई; नाबालिग को गलत ढंग से शिष्य बनाने का लगा आरोप-Video

January 12, 2025 by No Comments

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Mahakumbh-2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की आलौकिक छटा बिखरी हुई है. देश-दुनिया के संत-महात्मा महाकुंभ में जुट रहे हैं तो वहीं संन्यास और दीक्षा लेने का क्रम भी कुंभ में जारी है. इसी दौरान आगरा की रहने वाली 13 साल की लड़की भी संन्यास लेने के बाद अचानक चर्चा में आ गई थी लेकिन संन्यास लेने के 6 दिन बाद ही उसका संन्यास वापस हो गया है और दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े से 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। आरोप है कि उन्होंने नाबालिग को गलत तरीके से शिष्य बनाया था।

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक हरि गिरि महाराज का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा- यह अखाड़े की परंपरा नहीं रही है कि किसी नाबालिग को संन्यासी बना दें। इस मुद्दे पर बैठक कर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है।

संन्यास लेने के वक्त का सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वीडियो

बता दें कि महाकुंभ घुमने के लिए अपने माता-पिता के साथ कक्षा 9 की छात्रा राखी सिंह आई थीं और फिर उनका मन यहां से जाने का नहीं हुआ तो उन्होंने संन्यास ले लिया था और गौरी गिरि महारानी उनका नाम रख दिया गया था. वह आगरा के पेठा कारोबारी संदीप सिंह की बेटी हैं. उन्होने अपनी इच्छा से जूना अखाड़े में आकर साध्वी बनने का प्रण किया था.

वह 5 दिसंबर को परिवार के साथ महाकुंभ आई थीं। नागाओं को देखकर उसने संन्यास लेने का फैसला किया और फिर घर जाने से मना कर दिया था. बेटी की जिद के आगे माता-पिता भी झुक गए थे और जूना अखाड़े के महंत कौशलगिरि को अपनी बेटी दान कर दी थी. इसके बाद लड़की को पहले संगम स्नान कराया गया था और फिर उसका नाम बदल दिया गया था.

19 जनवरी को होने वाला था पिंडदान

बता दें कि संन्यासी बनने के दौरान खुद का पिंडदान करने की परंपरा है। इसलिए 19 जनवरी को नाबालिग किशोरी का भी पिंडदान किया जाना था लेकिन अब उसका संन्यास ही वापस ले लिया गया है. महामंडलेश्वर महंत कौशल गिरि ने लड़की के पिंडदान कराने की भी तैयारी कर ली थी, लेकिन इससे पहले अखाड़े की सभा ने यह कार्रवाई कर दी। इसके बाद ये कार्यक्रम अब नहीं होगा.

महंत से जुड़ा रहा है परिवार

सोशल मीडिया पर वायरल खबर के मुताबिक, लड़की के पिता आगरा के पेठा कारोबारी हैं और कई सालों से श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि से जुड़े हैं. उनके दो बेटियां हैं और दोनों की कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं. संन्यासी बनने वाली नाबालिग नौवीं में और उसकी छोटी बहन दूसरी क्लास में पढ़ती है। नाबालिक किशोरी की मां ने मीडिया को बताया था कि वह IAS बनना चाहती थी लेकिन अब उसने संन्यास ले लिया है. वह पढ़ने में अच्छी है.

लड़की के स्कूल प्रिंसिपल का भी बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि बच्ची शुरू से धार्मिक प्रवृत्ति की है। नवरात्र में वो स्कूल नंगे पैर आती थी। वो हमेशा ज्ञान और भगवान के बारे में बात करती थी। पढ़ने में भी होनहार है।

महंत कौशल गिरि ने दी सफाई

नाबालिग को संन्यास दिलाने वाले महंत कौशल गिरि ने मीडिया को बताया कि संन्यासी जीवन धर्म ध्वजा और अग्नि के सामने (धूनी) बीतता है। संन्यास परंपरा में दीक्षा लेने की कोई उम्र नहीं होती। वह अखाड़े में रहकर गुरुकुल परंपरा के अनुसार शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करेगी। वेद, उपनिषद एवं धर्म ग्रन्थ में पारंगत किया जाएगा। इसके बाद संन्यासी बनकर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेगी। गौरी गिरि महारानी को 12 साल तक कठोर तप करना होगा।

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