Makar Sankranti-2025: जानें क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? राशि के अनुसार दान करें ये सब
Makar Sankranti-2025: मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जिसे पूरे देश में मनाया जाता है, फर्क बस इतना है कि इसके नाम अलग-अलग होते हैं. जहां उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति कहते हैं तो वहीं महाराष्ट्र में तिलगुल और कर्नाटक में ‘एलु बिरोधु’ कहा जाता है. तो पंजाब में लोहड़ी कहते हैं. तों कभी-कभी लोगों के दिमाग में ये भी सवाल खड़े होते हैं कि मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
इस सम्बंध में सनातन धर्म के ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि, मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते हैं। शनिदेव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि, मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। मान्यता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है और गंगा स्नान करने का भी विधान बताया गया है.
बता दें इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. क्योंकि इस बार 14 जनवरी को ही सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर यानी प्रवेश करेगा. तो वहीं सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास का महीना भी खत्म हो जाएगा. बता दें कि जब कभी सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को गोचर होता है तो मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाती है. पहले कई बार ऐसा हो चुका है.
कथा पढ़कर समझें क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि, महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी आदि खाकर मनाया जाता है, जबकि गुजरात में यह पर्व पतंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है। अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार देश भर में इस त्योहार को अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है और पूरे देश में इस दिन अलग-अलग पकवान बनते हैं. उत्तर भारत में उड़द की दाल और चावल की खिचड़ी पकवान बनने की वजह से इस पर्व को खिचड़ी भी कहा जाता है. विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है, इसलिए उत्तर भारत में इस पर्व को ‘खिचड़ी ‘के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्रांति पर बेहद महत्व है। मान्यता है कि, इस दिन दान करना पुण्यदायी होता है. विशेषकर इस दिन तिल, खिचड़ी, गुड़ एवं कंबल दान करने का महत्व बताया गया है.
राशि के अनुसार ये सब करें दान
मेष राशि – जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य दें और फिर तिल-गुड़ का दान करें.
वृष राशि- जल में सफेद चंदन, दूध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें और खिचड़ी का दान करें।
मिथुन राशि – जल में तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें व मूंग की दाल की खिचड़ी दान करें।
कर्क राशि- जल में दूध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें. इससे संकटों से मुक्ति मिलेगी। गुड़, तिल दान करें।
सिंह राशि- जल में कुमकुम तथा रक्त पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़, तिल दान करें।
कन्या राशि- जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें और मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर दान करें। गाय को चारा दें।
तुला राशि- सफेद चंदन, दूध, चावल का दान दें। सफेद चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें |
वृश्चिक राशि- जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें और गुड़ का दान करें।
धनु राशि- जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें व गुड़ दान करें।
मकर राशि- जल में नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। इसी के साथ ही काले तिल, उड़द की दाल की खिचड़ी दान करें।
कुंभ राशि- जल में नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें और उड़द, तिल का दान करें।
मीन राशि- हल्दी, केसर, पीले फूल के साथ तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें और तिल, गुड़ का दान करें।
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।
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