NAVRATRI-NAVSANVATSAR WISHES: दिल में प्रेम बीज सब रोपें, यूँ हो देवी की अगुवाई…देखें कवयित्रियों द्वारा रचित नवरात्र व नवसंवत्सर शुभकामना संदेश, अपनों को भेजकर दें मां भगवती का आशीर्वाद
नवरात्र व नवसंवत्सर स्पेशल। हम भारतीय सूर्योदय से नए दिन का प्रारम्भ मानते हैं। इसलिए चैत्रमास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को बिल्कुल सुबह स्नान आदि के बाद अपने आराध्य देव व देवी की पूजा-अर्चना के बाद से ही दिन की शुरूआत करें। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नौ दिन कर मनाए जाने वाले व्रत-उपवास नवरात्र के पर्व को भी नवसंवत्सर के पहले दिन से ही जोड़ा, ताकि हिंदू धर्म के लोग माता की आराधना से अपने साल की शुरूआत करें। इस बार यह 2 अप्रैल से हिंदुओं का नया साल शुरू हो रहा है, जिसे नवसंवत्सर कहते हैं। इस बार विक्रम संवत 2079 से नल नाम का संवत्सर शुरू हो रहा है और इसी दिन से घर-घर में माता दुर्गा की पूजा शुरू होगी, लोग नवरात्र का व्रत करेंगे।
ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसी तिथि को (सूर्योदय के समय) सृष्टि की रचना की थी। स्मृति कौस्तुभकार के मत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र के निष्कुम्भ योग में भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था। इसी दिन भारत के प्रतापी, महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के संवत्सर का यहीं से आरम्भ माना जाता है। इस तरह से न केवल पौराणिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस तिथि का बहुत महत्व है। तो आइए इस महत्वपूर्ण दिन को कवयित्रियों की कलम से निकले शुभकामना संदेशों को अपनों को भेजकर बना दें खास।
कविता विष्ट, देहरादून
ज्ञान दात्री माँ मुझे सत ज्ञान का वरदान दे।
माँ असत को दूर कर उर भावना को मान दे।
आप की पावन कृपा से बुद्धि का विस्तार हो,
शुद्धता में शुभ्रता सा गंग का उपमान दे।
मीनाक्षी शुक्ला, लखनऊ
नव वर्ष की पावन बेला आई !
जग में अनुपम खुशियां लाई !
दिल मे प्रेम बीज सब रोपें
यूँ हो देवी की अगुवाई !
नीलू मिश्रा, कानपुर
आ गया ये वर्ष नूतन ।
झूमते मन बाग उपवन ।
रच दिया ब्रह्मांड सुन्दर ।
हम पे है उपकार भगवन।
मणि अग्रवाल “मणिका”, देहरादून
ज्योति अखंडित जल उठी, संग विराजा हर्ष,
जगदंबा की पा कृपा, झूम रहा उत्कर्ष,
उल्लासित वसुधा करे, हँस कर मंगलगान
कितने पावन रूप में, आया है नववर्ष।।
राखी कुलश्रेष्ठ, कानपुर
सुखद नव प्रात की बेला नया पैगाम है लाए।
उनींदी कोंपलों को भी नवल आयाम है भाए।
मिटा दो द्वैष नफरत भी किसी की हानि मत करना,
सहजता खुद सरल बनिए यही तो काम है आए।।
स्नेहलता “स्नेह”
ज्योत नव, नव चेतना ,शुभ -लाभ लाया चैत्र है
नींव, नीतन ,नील बन नीवन समाया चैत्र है
स्वप्न पूरे हों सभी के कर्म हों स्कंदमय
लो बधाई “स्नेह” की नव वर्ष आया चैत्र है
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