Painting Exhibition: रंगों में उभरता बनारस… रूप और अरूप
Painting Exhibition: अहिवासी कलावीथिका, चित्रकला विभाग, दृश्य कला संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में देश के विभिन्न ख्यात कलाकार अपनी अपनी शैलियों में बनारस के विभिन्न आयामों को रुपायित करना शुरू कर चुके हैं। कुरुक्षेत्र, हरियाणा से पधारे प्रो. राम विरंजन ने घाटों को बहुरंगी तानों में रचना आरंभ किया है, जिसमें उभरते घाटों की आकृतियां अमूर्तन से मूर्तन की ओर जा रही है तो बड़ौदा से आए अरविंद सुथार बनारस की आध्यात्मिकता को अमूर्तन में देख और रच रहे हैं।
लखनऊ से आए वरिष्ठ चित्रकार एवं कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला पत्रिका के संपादक अवधेश मिश्र ने अपनी चिर परिचित शैली में बनारस घाट के मध्य उपस्थित बिजूका को बनाना प्रारंभ किया है जो बनारस के घाटों की आध्यात्मिकता एवं सौंदर्य के बदलते और विकसित होते रूप और अरूप को सदियों से महसूस कर रहा है। इस चित्र में बनारस की पहचान से जुड़े तत्वों को समाहित किया जा रहा है।
दिल्ली से आए असित पटनायक ने बनारस घाटों के मध्य एक पुरुष चेहरे और उसमें उभरती एक स्त्री आकृति और संयोजन के साथ उभरता टेक्सचर महत्वपूर्ण है। तेलंगाना से आए अपनी विशिष्ट शैली के लिए मशहूर लक्ष्मण एले के चित्र में दक्षिण भारतीय स्त्री बैठी है लेकिन उसके पृष्ठभूमि में भी खुशनुमा फूल पत्ती और बनारस के घाट खूबसूरती से उभर रहे हैं। दृश्य कला संकाय की संकाय प्रमुख व इस कार्यशाला की संयोजक आचार्य उत्तमा दीक्षित ने बनारस के घाटों को अमूर्तन में शैली में रचना शुरू किया है जो परत दर परत अपने संपूर्ण वैभव के साथ फलक पर उतर रहा है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग के सहायक आचार्य सुनील पटेल ने बनारस के भौतिक रूप को यथार्थ रूप में चित्रित का प्रयास किया है। इन नामचीन कलाकारों के साथ संकाय के छात्र-छात्राएं लाभान्वित होने के साथ-साथ कलाकारों की विशिष्ट शैली का अनुभव भी प्राप्त कर रहे हैं।
अन्य कलाकारों ने अपनी अपनी शैलियों और माध्यम में बनारस की घाटों की आध्यात्मिकता और सौंदर्य को प्रकांतर से रचना शुरू कर दिया है। प्रोफेसर संजय कुमार, कुलगुरु, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और प्रो राजाराम शुक्ल ( पूर्व कुलपति, संस्कृत यूनिवर्सिटी) संकाय प्रमुख, वैदिक दर्शन विभाग, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने कार्यशाला में पधार कर कलाकारों द्वारा किए जा रहे कार्यों का अवलोकन किया और छात्र – छात्राओं का उत्साह वर्धन करते हुए इस कार्यशाला के समन्वयक आचार्य उत्तमा दीक्षित को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस कार्यशाला में आचार्य उत्तमा दीक्षित, आचार्य मनीष अरोड़ा, आचार्य ब्रह्म स्वरूप, और आचार्य मंजुला चतुर्वेदी की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। यह कार्यशाला 2 फरवरी 2025 तक विश्वविद्यालय की कार्यावधि में चलेगा जिसे विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थी एवं नगर के कलाप्रेमी देख सकते हैं। कलाकारों से संवाद कर सकते हैं और उनकी कला की विशेषता को सीख सकते हैं।