Sanatan Dharma: मार्गशीर्ष मास के दौरान करें ये सरल काम, घर में हो रहे झगड़ों से मिलेगी निजात, होगा कुल का उद्धार, जानें इस महीने का महत्व
Sanatan Dharma: हिंदू धर्म में सभी महीनों को लेकर कोई न कोई महत्व बताया गया है. इसी तरह 28 नवंबर से शुरू हुए मार्गशीर्ष मास के बारे में भी धर्म ग्रंथों में जिक्र किया गया है. यह मास 26 दिसम्बर तक रहेगा. आचार्य विनोद कुमार मिश्र कहते हैं कि अगर इस दौरान कुछ उपाय कर लिया जाए तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और घर में झगड़े हो रहे हैं तो इससे निजात मिलेगी.
आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम भगवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष की दिन में 2- 3 बार पाठ करें। इसी के साथ इस मास में ‘श्रीमद भागवत’ ग्रन्थ को देखने की भी महिमा है स्कन्द पुराण में लिखा है घर में अगर भागवत हो तो एक बार दिन में उसको प्रणाम जरूर करें. इस मास में अपने इष्ट को” ॐ दामोदराय नमः” कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है। शंख में तीर्थ का पानी भरो और घर में जो पूजा का स्थान है उसमें भगवान के ऊपर से शंख घुमाकर भगवान का नाम बोलते हुए वो जल घर की दीवारों पर छिड़क दें उससे घर में शुद्धि बढ़ती है शांति बढ़ती है क्लेश झगड़े दूर होते है।
इस मास में कर्पूर का दीपक जलाकर भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेघ यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार कर देता है
मार्गशीर्ष मास का महत्व
श्रीमद्भगवद्गीता में अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि “मासानां मार्गशीर्षो अहम्” सभी महीनों में मार्गशीर्ष मेरा ही स्वरूप है ।
मार्गशीर्ष मास में कपूर का दीपक जला कर भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार करता है।
मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम, श्रीमद्भागवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष पाठ की महिमा है । इन तीनों का पाठ अवश्य करें।
इस मास में अपने,इष्ट को ” ॐ दामोदराय नमः” कहते हुए प्रणाम करने की महिमा है।
जो उपासक मार्गशीर्ष के महीने में शंख में तीर्थ का जल लेकर उसकी एक बून्द से भी मुझे नहलाता है, वह अपने समूचे कुल को तार देता है।
जो मार्गशीर्ष मास में भक्ति पूर्वक शंख ध्वनि कर के मुझे स्नान कराता है, उसके पितर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होते हैं ।
जो शंख में जल लेकर “ॐ नमो नारायणाय” का उच्चारण करते हुए मुझे नहलाता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है।
जो तुलसी काष्ठ का धिसा हुआ चन्दन मुझे अर्पण करता है, उसके सौ जन्मों के समस्त पातकों को मैं भस्म कर देता हूँ।
जो कलियुग के मार्गशीर्ष मास में मुझे तुलसी काष्ठ का चन्दन देते है, वे निश्चय ही कृतार्थ हो जाते हैँ । जो शंख में चन्दन रखकर मार्गशीर्ष मास में मेरे अंगो में लगाता है, उसके ऊपर मैं विशेष प्रेम करता हूँ।
जो मार्गशीर्ष में तुलसीदल और आँवलों से भक्ति पूर्वक मेरी सेवा करता है, वह मनोवांछित फल को पाता है ।
जो शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर मुझे अर्घ्य देता है उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है ।
जो वैष्णव मेरे मस्तक पर शंख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिड़कता है उसके घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता ।
मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ मेरा पूजन मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करनेवाला है । (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड)
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।