माध्यमिक की बोर्ड परीक्षा कराने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के मृतक शिक्षकों की भी लगा दी गई ड्यूटी, देखें किस जिले का है मामला, आखिर प्रयागराज छोड़ अन्य जिलों के परिषदीय स्कूलों के बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है विभाग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद की व्यवस्था का बुरा हाल इसी के साफ दिखाई दे जाता है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा में उन शिक्षकों की भी ड्यूटी लगा दी गई, जो इस दुनिया में नहीं रहे। मतलब साफ है कि अधिकारियों से लेकर बाबू तक ने ये जानने की जरूरत महसूस नहीं की कि किस स्कूल में कितने शिक्षक हैं और कितने बच्चे, बस परिषदीय स्कूल के बच्चों की पढ़ाई की परवाह किए बगैर बोर्ड परीक्षा की जिम्मेदारी निभाने चल दिए।
बता दें कि 24 मार्च से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं, जिसमें प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा विभाग के सहायक अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों की भी ड्यूटी लगाई गई है। कानपुर सहित कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां शत-प्रतिशत और राजधानी में 50 प्रतिशत शिक्षकों की ड्यूटी बिना कुछ सोचे समझे लगा दी गई। लखनऊ के बेसिक शिक्षा विभाग का तो हाल इतना बुरा है कि बाबूओ से लेकर अधिकारियों को ये मालूम ही नहीं की जिन शिक्षकों की ड्यूटी वो लगा रहे हैं, उनमें से कुछ अब इस दुनिया में रहे भी नहीं। शिक्षकों से मिली जानकारी के मुताबिक बेसिक स्कूल सदरौना सरोजनीनगर के शिक्षक जगदम्बा प्रसाद यादव और प्रथामिक विद्यालय खाली देवरिया चिनहट की शिक्षिका कुसुम यादव का हाल ही में निधन हो गया है। इन दोनों शिक्षकों की भी ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगाई गई है। फिलहाल इस पूरे मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ को फोन कर बयान लेने की कोशिश की, तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।
फिलहाल विभाग की इस लापरवाही के खिलाफ शिक्षकों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है, ताकि प्राथमिक व जूनियर के बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे और उनकी परीक्षाएं भी उतनी ही जिम्मेदारी के साथ कराई जा सकें, जितनी की बोर्ड की कराने के लिए बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इस सम्बंध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जनपद लखनऊ के अध्यक्ष सुधांशु मोहन ने बताया कि जनपद के 50% शिक्षकों की बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षक के रूप में ड्यूटी लगा दी गई। एकल शिक्षक और मृतक शिक्षकों की भी ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई है। 200 से लेकर 400 तक की छात्र छात्र संख्या वाले विद्यालय के छात्र एकल शिक्षक के सहारे परीक्षा देने को मजबूर हो रहे हैं।
परिषदीय परीक्षा को पूरी तरीके से मजाक बना कर रख दिया गया है। संबंधित अधिकारी भी इस सम्बंध में कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। नगर क्षेत्र का तो हाल और भी बुरा है। यहां करीब 325 शिक्षक हैं, और 251 की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई है। जबकि नगर क्षेत्र के करीब-करीब सभी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे ही संचालित हो रहे हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि अगर बोर्ड परीक्षा कराने के लिए माध्यमिक के पास शिक्षक नहीं थे तो कुछ शिक्षक बेसिक से और कुछ प्राइवेट स्कूलों से ले सकते थे, लेकिन पूरी तरह से बेसिक के बच्चों की पढ़ाई को ही निशाना बनाते हुए बेसिक शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी में लगा दिया गया है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जनपद लखनऊ ने विभाग से मांग की है कि समय रहते अगर परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की लगाई गई ड्यूटी में संशोधन नहीं किया गया तो परिषदीय विद्यालयों में परीक्षा सम्पन्न न होने की दशा में कोई भी शिक्षक जिम्मेदार नहीं होगा।
कुछ बानगी
प्राथमिक विद्यालय महेंद्र नगर से एक शिक्षक को छोड़कर सभी शिक्षकों को बोर्ड ड्यूटी में लगा दिया गया है। तो वहीं स्कूटर इंडिया में 250 बच्चे पढ़ते हैं और यहां 7 शिक्षक तैनात थे, जिसमें से 6 शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई है। इसी तरह रामचौरा में एक शिक्षिका पहले से ही मैटेरनिटी लीव पर चल रही हैं और पांच में से चार शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा कराने के लिए बुला लिया गया है। प्राथमिक विद्यालय बेती में हेडमास्टर छोड़ सभी की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई है। कमोबेश यही स्थिति पूरे प्रदेश में है, केवल प्रयागराज को छोड़कर। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्रयागराज के जिलाध्यक्ष कामता नाथ का कहना है कि प्रयागराज में ऐसी किसी भी तरह की स्थिति नहीं है। इस पर अन्य जिलों के शिक्षक संगठनों का कहना है कि प्रयागराज में अगर ये स्थिति नहीं है तो या तो माध्यमिक में ही यहां पर पर्याप्त शिक्षक होंगे या फिर कोई और वजह होगी, लेकिन अन्य जिलों के बेसिक परिषद के बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों।
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