इस बार रमजान में शिया-सुन्नी महिलाएं एक साथ अदा कर सकेंगी एक ही मस्जिद में नमाज, 3 अप्रैल को लखनऊ में होगा महिला मस्जिद का उद्घाटन, ब्राह्मण बेटी ने भी रखी अपने नाम की ईंट, जानें मस्जिद की शर्त
लखनऊ। इस बार रमजान के पाक दिन मुस्लिम महिलाओं के लिए खास होने जा रहे हैं, क्योंकि उनको भी मस्जिद का तोहफा मिलने जा रहा है। इस हिसाब से इस बार महिलाएं भी मस्जिद में नमाज अदा कर सकेंगी। महिला मस्जिद का उद्घाटन भी उसी दिन (3 अप्रैल 2022) को होने जा रहा है, जिस दिन से रमजान शुरू होने जा रहा है। हालांकि चांद के हिसाब से रमजान की शुरूआत होगी, लेकिन अभी से रमजान शुरू होने की जो तारीख बताई जा रही है व 3 अप्रैल ही घोषित हुई है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMWPLB) की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर द्वारा महिला मस्जिद का निर्माण कराया जा रहा है, जिसका नाम अम्बर मस्जिद रखा गया है। इस मस्जिद निर्माण के दौरान गंगा-जमुनी तहजीब की एक अलग ही मिसाल देखने को मिल रही है। दरअसल मस्जिद निर्माण में 9 साल की बच्ची से लेकर 90 साल की बुजुर्ग महिला ने भी अपने नाम की ईंट रखी है। तो साथ ही तमाम धर्मों की महिलाओं ने भी इस मस्जिद में अपने नाम की ईंट जोड़ी है। हाल ही में भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री ब्राह्मण बेटी रीना त्रिपाठी ने भी अपने नाम की ईंट जोड़कर हिंदू-मुस्लिम एकता को बल दिया है। रीना कहती हैं कि भारत देश विविधताओं का देश है, यदि यहां मंदिर के घंटों से सुबह की शुरुआत होती है तो अजान की गुहार को हम नकार नहीं सकते। आज हिंदू मुस्लिम नफरत के हर संभव प्रयास के बीच हिंदू मुस्लिम एकता का एक छोटा सा उदाहरण बनी है अम्बर मस्जिद के नीव की ईंट।
इसी के साथ यहां पर रामनामी दुपट्टा, रुद्राक्ष और रामायण भी रखी हुई है।
मालूम हो कि अंबर मस्जिद की स्थापना 1997 में शाइस्ता अंबर ने की थी। शाइस्ता बताती हैं कि अब तक महिलाओं को छत के नीचे और परिसर में टेंट के पीछे अस्थायी व्यवस्था पर नमाज पढ़नी पड़ती थी, जिससे महिला नमाजियों को धूप और बरसात में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। महिलाओं के लिए प्रस्तावित अलग हॉल एक मंजिला संरचना है, जिसे 3 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्माण में कोई भी आर्थिक सहयोग कर सकता है।
निर्माण कार्य जोरों पर है, उम्मीद है कि रमजान तक, जो कि 3 अप्रैल को है, मस्जिद का उद्घाटन हो सकेगा और महिलाओं को अपनी मस्जिद में नमाज अदा करने के साथ ही तरावीह, हदीस, उपदेश, जुमा, खुतबा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। शाइस्ता अम्बर ने बताया कि आमतौर पर शिया और सुन्नी मसलक के लोग अलग-अलग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं, लेकिन लखनऊ के पीजीआई के पास स्थित अंबर मस्जिद में ऐसी कोई पाबंदी नहीं होगी। यहां शिया और सुन्नी महिलाएं नमाज अदा कर सकेंगी।
जानें क्या लिखा है मस्जिद के मेन गेट पर
पीजीआई ट्रॉमा सेंटर के पास बन रही अंबर मस्जिद का निर्माण की नींव साल 1997 में ही पड़ गई थी। शाइस्ता अंबर बताती हैं कि मस्जिद बनवाने के लिए उन्होंने जेवर बेचकर जमीन खरीदी थी। इस मस्जिद के मेन गेट पर संगमरमर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया है कि यहां सभी मसलक के लोग नमाज पढ़ें, इस्तकबाल है। आज यहां सवा सौ से ज्यादा शिया-सुन्नी रोजेदार नमाज पढ़कर एक साथ रोजा खोलते हैं।
देखें क्या है शर्त
शाइस्ता ने दोनों मसलक के लोगों के लिए इस शर्त पर मस्जिद की तामीर करवाई है कि वे एक साथ यहां अल्लाह की इबादत करेंगे। अंबर मस्जिद का उद्घाटन 2 फरवरी, 1997 को मौलाना अली मियां ने किया था। शाइस्ता के मुताबिक सौर ऊर्जा के पैनल से लैस इस मस्जिद में मिलाद शरीफ के साथ शोहदा-ए-कर्बला का भी जिक्र होता है। मस्जिद के कैंपस में 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडारोहण भी होता है। बता दें कि शाइस्ता अम्बर हमेशा से ही महिलाओं के हक व अधिकार के लिए लड़ती रही हैं। उन्होंने तीन तलाक जैसे कुरीति को खत्म करने की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई।
महत्वपूर्ण खबरों पर भी डालें नजर