UP ASSEMBLY ELECTION-2022:नारी शक्ति पर कांग्रेस का भरोसा कायम, चौथी सूची में भी बनाया दर्जनों महिलाओं को अपना उम्मीदवार, देखें पूरी लिस्ट

January 30, 2022 by No Comments

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नई दिल्ली। अपने वादे के अनुसार कांग्रेस लगातार महिलाओं का सम्मान कर रही है और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 (UP ASSEMBLY ELECTION-2022) के लिए उम्मीदवारों की सूची में अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल कर रही है। रविवार को जारी चौथी सूची में भी 24 महिलाओं को स्थान दिया गया है। इससे पहले की जारी सूची में भी कांग्रेस ने दर्जनों महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। कुल मिलाकर इस चुनाव में अन्य सभी राजनीतिक दलों की अपेक्षा कांग्रेस ही एक मात्र ऐसा राजनीतिक दल बनकर उभरा है, जिसने अधिक से अधिक महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। खासतौर पर पीड़ित महिलाओं को टिकट देकर कांग्रेस जनता के बीच चर्चा का विषय बन गई है।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को 24 महिलाओं सहित 61 उम्मीदवारों की चौथी सूची कांग्रेस ने जारी की है। पार्टी अब तक यूपी में 127 महिलाओं को टिकट दे चुकी है। 125 उम्मीदवारों की पहली सूची में 50 महिलाएं हैं, 41 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में 16 महिलाएं हैं, वहीं 89 उम्मीदवारों की तीसरी सूची में 37 महिलाओं को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है।

चौथी सूची में रायबरेली और अमेठी के उम्मीदवार शामिल हैं। हरचंदपुर से सुरेंद्र विक्रम सिंह को टिकट दिया गया है और सरेनी से सुधा द्विवेदी को टिकट दिया गया है। दोनों सीटें रायबरेली में हैं। अमेठी के गौरीगंज से मोहम्मद फतेह बहादुर को मैदान में उतारा जा रहा है। अन्य उम्मीदवार जो मैदान में हैं, उनमें हाथरस से कुलदीप कुमार सिंह, कासगंज से कुलदीप पांडे, किशनी (एससी) से डॉ विनय नारायण सिंह, बीसलपुर से शिखा पांडे।

कांग्रेस चुनावी घोषणापत्र

पहली सूची जारी करने के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि पार्टी महिला उम्मीदवारों को 40 फीसदी टिकट देने के अपने वादे को पूरा कर रही है। पहली सूची में उन्होंने कहा कि महिलाओं को विविध पृष्ठभूमि से चुना गया है। इनमें उन्नाव रेप सर्वाइवर की मां भी शामिल हैं, पूनम पांडे, एक आशा कार्यकर्ता हैं तो पत्रकार निदा और लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर हैं, जो सीएए के विरोध में सबसे आगे थीं।

इन महिलाओं को उम्मीदवार बनाने की वजह से कांग्रेस है चर्चा में
आशा सिंह, उन्नाव में अपनी बेटी के बलात्कार के बाद सत्ताधारी भाजपा के विधायक के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उनके पति की हत्या तक कर दी गई थी। रितु सिंह, ब्लॉक प्रमुख चुनावों में भाजपा की हिंसा की शिकार रितु सिंह हुई थीं। उनको चुनाव लड़ने से रोका गया था, जिसका विरोध रितु ने खुलकर किया था। पूनम पांडेय, ने आशा बहनों के हक की लड़ाई लड़ी। साथ ही किसान आंदोलन में किसानों की आवाज भी बनी थीं। मालूम हो कि कोरोना के समय उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में आशा बहनें रीढ़ की हड्डी बनी हुई थीं। उन्होंने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना लगकर अपनी ड्यूटी दी। जब आशा बहनें मुख्यमंत्री की शाहजहाँपुर में अपना मानदेय बढ़ाने की माँग लेकर पहुँची उसमें पूनम पांडेय समेत सभी आशा बहनों को निर्ममता से पीटा गया था। सदफ जफ़र पर नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ जमकर प्रदर्शन किया था। सदफ का कहना था कि उनके खिलाफ झूठे मुक़दमे लगाए गए और पुरुष पुलिस ने उन्हें पीटा। साथ ही उनके बच्चों से उन्हें अलग कर, जेल में डाल दिया गया था। अल्पना निषाद ने नदियों और उनके संसाधन व निषादों के हक़ की लड़ाई लड़ी है।