Varuthini Ekadashi: वरुथिनी एकादशी की पढ़ें कथा, भूल कर भी न करें ये 8 काम
Varuthini Ekadashi: वैशाख मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. इस व्रत को सुख-सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप कट जाते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इस दिन सुपात्र ब्राह्मण को दान देने, करोड़ों वर्षों तक ध्यान मग्न तपस्या करने तथा कन्यादान के फल से बढ़कर वरुथिनी एकादशी का व्रत माना गया है.
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि इस दिन भक्तिभाव से भगवान मधुसूदन (भगवान विष्णु) की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान मधुसूदन की प्रसन्नता प्राप्त होती है और सम्पूर्ण पापों का नाश हो जाता है. व्रती को चाहिए कि एक दिन पहले ही एक बार भोजन कर ही इस व्रत को रखें. अर्थात दशमी को दिन में एक ही बार भोजन करें. इस दिन कुछ वस्तुओं का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए. इसी के साथ दिन रात में जागरण करते हुए भगवान का स्मरण करना चाहिए. द्वादशी को मांस आदि का परित्याग करके व्रत का पारण करना चाहिए.
आचार्य की मानें तो वरूथिनी एकादशी का व्रत सौभाग्य, भोग, मोक्ष प्रदायक है. इससे विद्यादान का तथा 10,000 वर्षों की तपस्या के समान फल मिलता है व इसका माहात्म्य पढ़ने-सुनने से 1000 गोदान का फल प्राप्त होता है.
इन कामों को न करें काम
इस दिन पान नहीं खाना चाहिए.
इस दिन दातुन न करें.
दूसरों की निन्दा न करें.
क्रोध न करें.
इस दिन झूठ न बोलें.
इस दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए.
इस दिन सोना भी नहीं चाहिए.
व्रत में तेल युक्त भोजन न करें.
कथा
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)