ZERO SHADOW DAY: साल में दो दिन होती है चौंका देने वाली खगोलीय घटना, जब परछाईं भी छोड़ देती है इंसान का साथ, जानें कैसे, वीडियो में देखें ये अद्भुत नजारा
लखनऊ। कहते हैं कि व्यक्ति का अगर सच्चा साथी कोई है तो वह है परछाई, जो कभी साथ नहीं छोड़ती, लेकिन साल में दो दिन होने वाली खगोलीय घटना (astronomical event) ने इस बात को भी झुठला दिया है। इसे जान कर एक बार आप हैरान तो अवश्य ही होंगे, लेकिन यह बिल्कुल सत्य है। इस सम्बंध में लखनऊ विश्वविद्यालय की खगोल शास्त्र की डॉ अलका मिश्रा बताया कि साल में महज दो दिन ऐसे होते हैं, जब सूर्य 23.5° N और 23.5° S डिग्री अक्षांश (Latitude) के बीच आने वाली जगहों पर दोपहर के समय ठीक हमारे सिर के ऊपर चमकता है।
यही कारण है कि उस समय हमारी परछाई भी हमारा साथ छोड़ देती है। परछाई न बनने की इस घटना को खगोल वैज्ञानिक ‘शून्य छाया दिवस’ या जीरो शैडो-डे ( zero shadow day ) कहते हैं। चूंकि लखनऊ 26.85° N अक्षांश पर स्थित है, अतः यहां पूर्ण रूप से शून्य छाया नहीं बनती पर निम्नतम छाया (Minimal shadow) 21 जून को मध्यान्ह मे देखी जा सकती है ।
देखें प्रयोग
एक आसान से प्रयोग के माध्यम से उन्होंने छात्रों को घेरे में खड़ा करके दोपहर 12. 06 पर इस घटना को प्रदर्शित करते हुए छात्रों को जीरो शैडो डे के बारे काफी रोचकता पूर्ण ढंग से समझाया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पूनम शर्मा एवं भौतिक विज्ञान के प्रो अमृतांशु शुक्ल भी उपस्थित रहे और उन्होंने भी छात्रों के साथ सूर्य और धरती के बीच होने वाले इस अद्भुत घटना क्रम के बारे में विभिन्न जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पृथ्वी पर अलग-अलग जगहों के लिए इनकी तारीखें भी अलग-अलग होती हैं और यह घटना तब होती है जब सूर्य का झुकाव स्थान विशेष के अक्षांश के बराबर हो जाता है ।
ज़ीरो शैडो डे पर, जब सूर्य स्थानीय मध्याह्न रेखा (Local Meridian) को पार करता है, तो सूर्य की किरणें जमीन पर किसी वस्तु के सापेक्ष बिल्कुल लंबवत (Vertical) पड़ती हैं। ऐसे में उस समय आपकी परछाईं या तो शून्य या निम्नतम हो जाती है। सामान्य जनधारणा के विपरीत दोपहर के समय भी जीरो शैडो डे के सिवा सूर्य कभी भी ठीक हमारे ऊपर नहीं होता। यह आमतौर पर थोड़ा उत्तर या थोड़ा सा दक्षिण में कम ऊंचाई (Altitude) पर होता है । पृथ्वी की रोटेशन एक्सिस (Rotation Axis) सूरज की तरफ 23.5 डिग्री झुकी होती है, यही कारण है कि सूर्य की रोशनी एक समान धरती पर नहीं पड़ती और मौसम में परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस खगोलीय घटना के दिन शिक्षकों के साथ ही छात्रों ने भी जमकर इंज्वाय किया और आसानी से इस दिन के महत्व को समझा।