गांवों के लिए “मां” बना AKTU, 11 आंगनबाड़ी केंद्रों और 21 टीबी ग्रसित बच्चों को लिया गोद, अनाथ बच्चों का बना “नाथ”, उन्नत खेती के लिए किसानों को दे रहा है तकनीकी जानकारी, 568 छात्रों को दी गई आर्थिक मदद
लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) गांवों के लिए “मां” की भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहा है, क्योंकि एक मां ही तो होती है जिसे अपने कमजोर व शारीरिक रूप से कमजोर बच्चे की अधिक चिंता होती है। ठीक उसी तरह एकेटीयू भी मां बनकर न केवल गरीब बल्कि बीमार बच्चों की भी सेहत सुधारने में लगा है। साथ ही किसानों का मसीहा भी बना हुआ है। विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों का अनुसरण देश व प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को भी लेना चाहिए। ताकि समाज के उस हिस्से को मजबूत किया जा सके, जो आर्थिक रूप से कमजोर है।
बता दें कि एकेटीयू सिर्फ शैक्षणिक गतिविधियों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक सरोकार को भी पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहा है। कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने हाल ही में 11 आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेकर सुविधा सम्पन्न बनाने का प्रण लिया तो राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने उनको इसके लिए सम्मानित भी किया। यही नहीं विश्वविद्यालय के साथ ही इससे सम्बद्ध संस्थानों ने भी प्रदेश भर में कई गांवों को गोद लेकर कई तरह के विकास कार्य कर रहे हैं। साथ ही अनाथ बच्चों को विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने गोद लेकर उनका पूरा खर्च उठाया। विश्वविद्यालय और इससे संब़द्ध संस्थानों ने कोरोना के चलते जिंदगी की जंग हारने वाले कर्मियों के परिजनों को भी सहारा दिया।
जानें किस तरह बदला गांवों का स्वरूप
विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध संस्थानों ने गांवों को गोद लेकर इसका स्वरूप ही बदल दिया है। विश्वविद्यालय के अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्यालयी जिम्मेदारियों के बीच गांवों में जाकर वहां की समस्याओं को सुन रहे हैं और उसे दूर करने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। साफ-सफाई से लेकर शिक्षा तक पर काम किया जा रहा है। उन्नत खेती के बारे में किसानों को विशेषज्ञों ने जानकारी दी। खेती में तकनीकी का प्रयोग कर उपज बढ़ाने के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।
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युवाओं के पलायन को रोकने के लिए स्वरोजगार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। विश्वविद्यालय और संस्थान द्वारा मिर्जापुर गांव, रसूलपुर, कचेरा वर्षाबाद, दुरियाई, महरौली, जवेरी, कर्सुआ, नडोरी सहित दर्जनों गांवों को गोद लिया गया है। कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने इस सम्बंध में बताया कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक दायित्वों के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारियों को निभा रहा है। हमारा प्रयास है कि तकनीकी का लाभ गांव और किसानों को मिले। युवाओं को उद्यमिता के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास है, इसके लिए जो भी जरूरी होगा हम करेंगे। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने में सहभागी बन रहे हैं। आगे भी संस्थान ऐसे कार्य करता रहेगा।
आंगनबाड़ी केंद्रों को दिए जरूरी सामान
एकेटीयू गांवों का ही विकास नहीं कर रहा है बल्कि आंगनबाड़ी केंद्रों को भी सुविधा सम्पन्न बनाने में जुटा है। अब तक विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध संस्थानों ने 286 आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने का काम किया है। फिलहाल 11 नये आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया गया है। हाल ही में कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में इन केंद्रों पर जरूरी सामानों का वितरण भी किया गया।
टीबी से ग्रसित 21 बच्चों को लिया गया गोद
एकेटीयू सिर्फ गांवों के विकास तक सीमित नहीं है बल्कि टीबी रोगियों को भी इस गम्भीर बीमारी से बचाने का काम कर रहा है। विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध संस्थान ने टीबी से ग्रसित 21 बच्चों को गोद लिया। इन बच्चों को अस्पताल के जरिये निशुल्क दवा और जांच की व्यवस्था की गयी। साथ ही पौष्टिक आहार, फल, बिस्किुट, ड्राई फ्रूट की उपलब्धता विश्वविद्यालय ने कराया। यही नहीं सेहत की जानकारी के लिए व्यक्तिगत संपर्क किया जा रहा है, जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों की सलाह भी दी जा रही है। फलस्वरूप विश्वविद्यालय और कॉलेजे के गोद लिये बच्चे जल्द ही स्वस्थ हो गये।
कोरोना महामारी में बना सहारा
कोरोना महामारी में विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध संस्थानों के कुछ शिक्षकों और छात्रों के परिजन इस वायरस की चपेट में आकर जीवन की जंग हार गये थे। ऐसे में विश्वविद्यालय ने आगे बढ़कर मृत शिक्षकों के परिजनों और छात्रों की मदद की। संस्थान ने कोरोना वायरस से मृत 21 शिक्षकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी। साथ ही 568 ऐसे छात्रों को एक-एक लाख रूपये दिये गये जिनके परिजनों में से किसी की मौत कोरोना से हो गयी थी।
अनाथ बच्चों का बना नाथ
विश्वविद्यालय अनाथ बच्चों का नाथ अर्थात सहारा बन रहा है। यहां के अधिकारी और कर्मचारियों ने श्री राम औद्योगिक अनाथालय के कुछ बच्चों को गोद लेकर उनके पढ़ाई का जिम्मा लिया है। साथ ही उनकी जरूरतों के मुताबिक आवश्यक वस्तुओं को भी अपने खर्चे से उपलब्ध करा रहे हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय के आविर्भाव दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल व सहकुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने गोद लिये दो अनाथ बच्चों को सम्मानित भी किया था।
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