AKTU:उत्तर प्रदेश के फार्मास्युटिकल छात्रों के बेहतर भविष्य व रोजगार के लिए एकेटीयू में किया गया मंथन, जानें विश्व के फार्मा उद्योगों को आकर्षित करने के लिए विशेषज्ञों ने क्या दिए सुझाव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विश्व के फार्मा उद्योग को आकर्षित करने और उनके लिए बेहतर माहौल बनाने पर शनिवार को डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के नोएडा परिसर में एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का उदेश्य माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में सुशासन के फलस्वरूप फार्मा उद्योग को आकर्षित करने एवं प्रदेश में फार्मा मैनुफैक्चरिंग हब बनाने पर मंथन करना था। साथ ही विश्वविद्यालय में फार्मा से संबंधित विश्व स्तरीय शोध शुरूआत पर भी चर्चा की गयी। विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किये और बताया कि किस तरह एक कार्ययोजना बनाकर उत्तर प्रदेश में विश्व के फार्मा उद्योग को आकर्षित किया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने दिया ये सुझाव
फार्मा उद्योग को लेकर अपनी राय रखते हुए एआईसीईएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. अरुण पांडेय ने प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि यूपी फार्मास्युटिकल और बायो-इंजीनियरिंग के नवोदित क्षेत्र के लिए सबसे अच्छी जगह है। विजन फार्मास्युटिकल और बायो-इंजीनियरिंग के लिए मानव संसाधन प्रदान करना है। उन्होंने इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का सुझाव दिया। लाइफ नेट हेल्थ लाइफ साइंसेज, वर्जीनिया यूएसए के चीफ साइंटिस्ट डॉ. राज के. सिंह ने फार्मा सेक्टर में विकासशील उद्यमियों के लिए उद्योग और अकादमिक के बीच की अंतर को भरने के बारे में बात की। उन्होंने फार्मा और बायोइंजीनियरिंग के क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। एक्यूटेस्ट रिसर्च लेबोरेटरी के अध्यक्ष डॉ. एम. हरि शंकर ने कहा कि उत्पाद के व्यावसायीकरण और उसके लिए उद्योग की सक्रिय भागीदारी में एक प्रक्रिया होनी चाहिए। पूर्व वीपी जाइडस कैडिला डॉ. सुभाष पांडेय, ने पाठ्यक्रम-आधारित आयरन उद्योग की मांग को विकसित करने पर जोर दिया। भारत के पूर्व औषधि नियंत्रक डॉ. जीएन सिंह ने नैदानिक खोज अनुसंधान के बारे में अपने अनुभव साझा किये।
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फैरासिंथ लिमिटेड के सीईओ और एमडी डॉ अरविंद कुमार गुप्ता ने छात्रों को रोजगार योग्य बनाने के बारे में बात की और कहा कि कॉलेज को उद्योग के साथ सहयोग करना चाहिए। प्रो. रमेश कुमार गोयल ने कहा कि उद्योग जगत के सहयोग से ही उत्कृष्ट केंद्र होना चाहिए। डॉ. जेएन वर्मा के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी एवं लाइफ केयर इनोवेटिव के एमडी ने कहा कि उद्योग की जरूरतों और मांगों के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए। इसी क्रम में डीआईपीएसआरयू के कुलपति प्रो. रमेश गोयल, प्रो. प्रह्लाद सेठ, डॉ. वीपी कंबोज, प्रो. सौरभ घोष, डॉ. शशि बाला सिंह, डॉ. शैलेंद्र सराफ, बीरेंद्र चौबे, प्रो. प्रमिल तिवारी सेठ ने भी अपने विचार रखे। सत्र की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव, तकनीकी शिक्षा अमृत अभिजात ने की। इस मौके पर तकनीकी शिक्षा के विशेष सचिव सुनील चौधरी भी मौजूद रहे। स्वागत एकेटीयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने किया। इस दौरान एकेटीयू के कुलसचिव नन्दलाल सिंह, फार्मास्युटिकल उद्यमी बीके मोहन सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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