Kartik Purnima 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर बना शिव और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग, जानें क्यों कहते हैं इस दिन को देव दीपावली

November 20, 2023 by No Comments

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Kartik Purnima 2023: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है. सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर पूजा करने का विधान दिया गया है तो वहीं इसी दिन तुलसी विवाह का भी विधान है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. मान्यता है कि वाराणसी में गंगा नदी में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं.

27 नवम्बर को मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा को लेकर काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर रविवार को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट तक शुरू हो जाएगी. इस तिथि का समापन 27 नवंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर सोमवार को होगी. इस दिन कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और स्नान होगा. 27 नवम्बर को ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 05 बजकर 05 मिनट से सुबह 05 बजकर 59 मिनट तक है. ब्रह्म मुहूर्त से दिनभर कार्तिक पूर्णिमा का स्नान-दान चलेगा. कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है.

शिव योग और कृत्तिका नक्षत्र में होगा कार्तिक पूर्णिमा स्नान

ज्योतिषाचार्य ने मीडिया से बात करते हुए जानकारी दी कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव योग, सिद्ध योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. कार्तिक पूर्णिमा को शिव योग प्रात:काल से लेकर रात 11:39 बजे तक है, उसके बाद से सिद्ध योग अगले दिन तक रहेगा. उन्होंने आगे बताया कि, पूर्णिमा वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा और 28 नवंबर को प्रात: 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा. कार्तिक पूर्णिमा को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट तक कृत्तिका नक्षत्र है, उसके बाद से रोहिणी नक्षत्र है.

इसलिए देवताओं के लिए महत्वपूर्ण है कार्तिक पूर्णिमा का दिन
पौराणिक कथाओं की मानें तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी और देवता शिव की नगरी काशी में गंगा नदी में स्नान करने आते हैं और शाम के समय में दीपक जलाते हैं. इस वजह से इस दिन को देव दीपावली के नाम से जानते हैं.

गंगा घाटों को सजाया जाता है दीपों से
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि, कार्तिक पूर्णिमा को प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. वाराणसी में सभी मंदिरों और गंगा के घाटों को दीपों से सजाया जाता है. देव दीपावली पर वाराणसी की अलौकिक और भव्य छटा देखने को मिलती है. धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव ने असुरराज त्रिपुरासुर का वध किया था. इसी कारण कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. भगवान शिव की कृपा से देवों को त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्ति मिली थी, इसलिए देवता कार्तिक पूर्णिमा को काशी नगरी में स्नान करने के बाद देव दीपावली मनाते हैं. बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदुओं के अलावा सिखों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि, इसी दिन सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म भी हुआ था. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है.

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)