27 साल की उम्र में 70 हत्याएं…दहशत का दूसरा नाम था शंकरिया उर्फ कनपटीमार, राजस्थान से लेकर उत्तर भारत तक था आतंक, जानें कैसे मरा
Crime Story: देश में साल 1952 में पहला लोकतांत्रिक आम चुनाव हुआ था और तभी राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक बच्चे ने जन्म लिया जो अपनी जवानी के दिन आते-आते लोगों के लिए काल बन गया था और उसका खौफ राजस्थान से लेकर पूरे उत्तर भारत में फैल गया था. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, शंकरिया का जन्म 1952 में राजस्थान के जयपुर में हुआ था लेकिन दुनिया ने उसे लोग कनपटीमार के नाम से जानते थे. उसकी दहशत 70 के दशक में इस कदर थी कि लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया था.
जवानी के 21 वें साल में प्रवेश करते ही शंकरिया मासूम बच्चा नहीं रह गया था बल्कि राजस्थान का मशहूर सीरियल किलर कनपटीमार बन चुका था. एक के बाद एक कई हत्याओं ने पुलिस की नींद हराम कर दी थी. वह पुलिस के लिए चुनौती बन चुका था. राजस्थान और उससे लगे इलाकों में लोग रात को अकेले कहीं आने जाने में डरने लगे थे. फिलहाल आधिकारिक रूप से अभी तक शंकरिया सीरियल किलर घोषित नहीं हुआ था लेकिन पुलिस और आम लोगों के बीच वह एक साये की तरह घूमता था और उसकी दहशत इस तरह से थी कि वह किसी सीरियल किलर से कम नहीं था.
इस तरह सुनते थे लोग उसकी खबरें
वो समय 70 के दशक का था. तब अखबार और रेडियो ही माध्यम थे जिससे एक जगह की खबर दूसरी जगह पता चल पाती थी. आज तो तुरंत सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए खबरें हम तक पहुंच जाती हैं लेकिन तब ऐसा नहीं था. लोगों को शंकरिया के दहशत के बारे में पता चलता रहता था. फिर एक सुबह 17 मई 1979 की आई. राजस्थान के लोगों को शंकरिया से आजादी मिल गई थी क्योंकि 16 मई 1979 को ही उसे फांसी दे दी गई थी. उस समय उसकी उम्र केवल 27 साल थी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, शंकरिया ने अपने जीवन में 70 लोगों की हत्याएं की थी.
इसलिए पड़ा कनपटीमार नाम
ये तो जानते ही हैं कि अपराधियों की पहचान उनके अलग तरीके से किए जाने वाले अपराध से होती है. इसी तरह शंकरिया था, वह हर किसी को मारने के लिए हथौड़े का इस्तेमाल करता था और कान पर ही हमला करके लोगों को मौत के घाट उतारा करता था. इसीलिए उसका नाम कनपटीमार पड़ गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 70 के दशक में राजस्थान में कई ऐसी लाशें मिली थीं, जिनके कान के पास हमला कर हत्या की गई थी.