“सबसे अधिक पुरुष कर रहे आत्महत्या…” सदन में गूंजा अतुल सुभाष का मुद्दा; BJP सांसद ने कहा पुरुषों के लिए पर्याप्त नहीं कानून, सरकार से की ये मांग-Video
Dinesh Sharma on Atul Subhash’s Issue: बैंगलुरू के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले को भला कौन नहीं जानता. अतुल सुभाष ने 4 पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर व वीडियो बनाकर आत्महत्या कर ली थी. तो वहीं उनकी आत्महत्या के बाद वायरल हुई वीडियो ने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था और ये सवाल खड़े हो गए थे कि जो कानून महिलाओं के अधिकार के लिए बने हैं क्या उनका दुरुपयोग करके पुरुषों को परेशान किया जा रहा है?
बता दें कि अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी पर दहेज प्रताड़ना का झूठा आरोप लगाकर परेशान करने का आरोप लगाया था. मूल रूप से बिहार के रहने वाले सुभाष ने अपने ‘सुसाइड नोट’ में पारिवारिक विवाद और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे. तो वहीं सोमवार यानी कल राज्यसभा में ये मुद्दा गूंजा. सदन में इस मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने उठाया और महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और शोषण से जुड़े कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई और झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन की मांग उठायी.
राज्यसभा के शून्य काल में महिला और पुरुषों की समानता (जेंडर न्यूट्रल लॉ) के संबंध में विचार व्यक्त किए।@narendramodi @JPNadda @AmitShah @blsanthosh @myogiadityanath @idharampalsingh @pmoindia @BJP4India @BJP4UP pic.twitter.com/hprCsbVhg8
— Dr Dinesh Sharma BJP (@drdineshbjp) February 3, 2025
दिनेश शर्मा ने की ये अपील
उच्च सदन में शून्यकाल के तहत इस मामले को दिनेश शर्मा ने उठाया. दिनेश शर्मा ने अपना भाषण देते हुए बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला उठाया और घरेलू हिंसा तथा उत्पीड़न से जुड़े कानून को लिंग-निरपेक्ष (जेंडर न्यूट्रल) बनाए जाने की अपील की.
वह बोले, ‘‘मैं अनुरोध करता हूं कि घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए ताकि सभी के साथ न्याय हो सके. अगर सिस्टम की कमी के कारण एक भी व्यक्ति अपनी जान दे देता है तो यह हमारे लिए आत्ममंथन का समय है.”
झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
दिनेश शर्मा ने अतुल सुभाष का मुद्दा उठाते हुए कहा कि झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सच्चाई को बरकरार रखा जा सके. मालूम हो कि अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद देश में कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें पुरुषों ने अपनी पत्नियों या उनके परिवार वालों पर प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में है ये नियम
वह आगे बोले कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में कहा गया है कि ‘जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता करता है, उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 85 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी.
अगर इस बात को सरल शब्दों में समझें तो वो इस तरह है कि यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या पति का कोई भी रिश्तेदार, महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है. इसमें महिला को पहुंचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान दोनों शामिल हैं.
पुरुषों ने सबसे अधिक की आत्महत्या
दिनेश शर्मा ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों को सदन में रखते हुए कहा कि वर्ष 2022 में भारत में आत्महत्या करने वालों में 72 प्रतिशत यानी 1,25,000 पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या लगभग 47,000 थी. इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से 2021 के बीच पुरुष और महिलाओं के आत्महत्या के अनुपात में काफी अधिक बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान 107.5 प्रतिशत अधिक पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं को आत्महत्या का कारण बताया. पुरुष और महिलाओं के लिए संतुलित कानूनी सुरक्षा की जरूरत को जरूरी बताते हुए दिनेश शर्मा ने कहा कि कानून ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और शोषण से बचाने में बहुत प्रगति की है लेकिन ऐसी ही हिंसा और शोषण से पुरुषों के लिए सुरक्षा का अभाव चिंता का विषय है.
पुरुषों के लिए नहीं है पर्याप्त कानून
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने अतुल सुभाष आत्महत्या मामले को उठाते हुए कहा कि‘‘यह घटना इस बात पर रोशनी डालती है कि झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन नहीं है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के प्रावधानों के दुरुपयोग की समस्या भी गंभीर चिंता का विषय है.’’