Lucknow Crime News: AKTU के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक पर लखनऊ में दर्ज हुई FIR, वर्तमान में कानपुर विश्वविद्यालय के हैं कुलपति, STF करेगी जांच
लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के पूर्व कुलपति और वर्तमान में कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर थाने में FIR दर्ज हो गई है। उन पर निजी कंपनी के एमडी ने बिल पास कराने के नाम पर जबरन वसूली करने, धमकी और गाली गलौज करने का आरोप लगाया है। इसी के साथ विनय पाठक सहित 2 लोगों को नामजद किया गया है।
मीडिया सूत्रों के मुताबिक मामला विनय पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करने के दौरान का हैं। डिजिटेक्स टेक्नाॉलाजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड मारियो डेनिस ने विनय पाठक के अलावा XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा को भी नामजद किया है। जिनकी देर रात STF ने गिरफ्तारी कर ली है। उन्हें जेल भी भेज दिया गया है।
जानें क्या है पूरा मामला
रिपोर्ट जो दर्ज हुई है, उसके मुताबिक डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कुलपति रहते हुए विनय पाठक ने वादी से 15% कमिशन वसूल किए थे। निजी कंपनी का ऑफिस लखनऊ के रंजनीगंधा अपार्टमेंट गोखले मार्ग पर है। कंपनी ने साल 2014-15 से डा.भीमराव अंबेडकर आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम से जुड़ा काम कर रही थी। इस बीच साल 2020-21 में UPLC के माध्यम से प्री-पोस्ट एग्जाम से संबंधित काम भी किया। कंपनी के बिल का भुगतान आगरा विश्वविद्यालय में लंबित था। आरोप है कि तब विनय पाठक कुलपति थे। इस दौरान वादी ने बिल का भुगतान करने को कहा तो पाठक ने कानपुर विश्वविद्यालय स्थित आवास पर बुलाया। इसके बाद कहा कि बिलों के भुगतान में 15% कमीशन देना होगा।
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि जब वादी ने इन सबको लेकर असमर्थता जताई तो विनय पाठक ने उनको अपशब्द कहे और आगरा यूनिवर्सिटी से कंपनी का काम हटवा देने की धमकी दी। इस पर परेशान होकर वादी ने कमीशन देने के लिए हामी भरी। इस पर पाठक ने अजय मिश्रा से फोन पर बात कराई और भुगतान होते ही कमीशन पहुंचाने को कहा। बिल पास होने पर वादी ने अजय मिश्रा से संपर्क किया और उनके खुर्रम नगर स्थित आवास पर जाकर कमीशन के 30 लाख रुपये दे दिए।
इस पर अजय ने तीन लाख रुपए कम होने की बात कहकर उनको घर में ही बंधक बना लिया। किसी तरह वादी वहां से निकला और तीन लाख रुपए की व्यवस्था कर अजय को दे दिए। आरोप है कि इसी तरह अलग-अलग बिलों को पास करने के नाम पर आरोपित पीड़ित से रुपए वसूलते रहे। वादी का कहना है कि अजय मिश्रा ने इंटरनेशनल बिजनेस फार्म्स अलवर राजस्थान के खाते में करीब 73 लाख रुपये ट्रांसफर भी करवाए।
FIR के मुताबिक, साल 2022-23 का काम देने के नाम पर वादी से कमीशन मांगा गया। पर मना करने पर विनय पाठक ने UPDESCO के माध्यम से अजय मिश्रा की कंपनी को काम दिलवा दिया। वादी ने कुल एक करोड़ 41 लाख रुपए कमीशन दिए जाने का आरोप लगाया है। वादी ने जान का खतरा होने और कुछ भी दुर्घटना होने पर विनय पाठक को जिम्मेदार ठहराने की बात कही है।
सौंपी गई STF को जांच
पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच STF को सौंपी गई है। प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 के तहत FIR दर्ज हुई है। एसीपी गाजीपुर विजय राज सिंह के मुताबिक STF पूरे मामले की विवेचना कर रही है। (फोटो सोशल मीडिया)