Sharad Purnima-2023: खीर में अवश्य डालें महत्वपूर्ण सामग्री, करें प्रार्थना और कहें ये बात, जानें शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का वैज्ञानिक आधार

October 27, 2023 by No Comments

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Sharad Purnima-2023: आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, इस बार यह पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन न केवल मंदिरों बल्कि घरों में भी परम्परागत रूप से विधि-विधान से लोग अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं और कथा सुनते हैं। मान्यता है कि हिंदू धर्म के इस प्रमुख त्योहार पर व्रत करके कथा सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि कथा सुनने से पहले हाथ में गेहूं के 13 दाने ले लेने चाहिए। कहते हैं कि इस दिन माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए व्रत भी रखती हैं, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) होने के कारण सूतक लग रहा है, जिसकी वजह से मंदिर पट बंद रहेंगे तो वहीं घरों में भी पूजा शाम को नहीं हो सकेगी.

चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि में 2 बजकर 22 मिनट तक ग्रहण रहेगा. भारतीय समय अनुसार चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की सायं 04 बजकर 06 मिनट से सूतक काल लग जाएगा और शाम को पूजा नहीं हो सकेगी. इसलिए इस शरद पूर्णिमा की पूजा दिन में ही कर लें. बता दें कि पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। चूंकि पूरे साल भर में केवल इसी दिन चंद्रमा षोडश कलाओं का होता है, इसीलिए धर्मशास्त्रों में इस दिन को कोजागर व्रत के रूप में भी माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन से कार्तिक मास व्रत औऱ स्नान नियम की शुरुआत भी हो जाती है।

जगत की भलाई के लिए बना था रासोत्सव का ये दिन
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि, मान्यता है कि रासोत्सव का यह दिन वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण ने जगत की भलाई के लिए निर्धारित किया था। क्योंकि कहा जाता है कि इस रात को चंद्रमा की किरणों से सुधा झरती है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सनातन धर्म के लोगों को चाहिए कि सुबह स्नान करके अपने आराध्य देव को सुंदर वस्त्र पहनाकर दीपक जलाकर भोग लगाना चाहिए और रात में गाय के दूध से बनी खीर बनाए। इसमें चीनी और घी अवश्य डालें। इसके बाद पूर्ण चंद्रमा की पूजा करें और भी खुले आकाश के नीचे खीर का बर्तन रख दें। दूसरे दिन इसका सेवन करें और सभी को प्रसाद के रूप में भी वितरित करें। कहते हैं कि पूर्णिमा का व्रत करके कथा जरूर सुननी चाहिए। इस बार चंद्रग्रहण होने के कारण आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद यानी रात्रि 2:22 के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें और यथासम्भव 1-2 घंटें के बाद ग्रहण कर लें.

खीर का जानें वैज्ञानिक आधार
मालूम हो कि हिंदुओं के सभी त्योहार कुछ न कुछ वैज्ञानिक आधार लिए हुए हैं। इसी तरह शरद पूर्णिमा अर्थात रास पूर्णिमा का भी वैज्ञानिक आधार है। मालूम हो कि इस दिन की रात को खुले आसमान के नीचे गाय के दूध से बनी खीर रखने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। अगर धर्म शास्त्रों की मानें तो शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने से उसमें अमृत गिरता है, जिसके खाने के बाद हमारा शरीर सर्दी से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।

तो दूसरी ओर इसका वैज्ञानिक आधार बताया गया है कि गाय के दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है, जो कि चांद की तेज रोशनी में दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को और अधिक बढ़ाने में सहायक होता है। तो दूसरी ओर खीर में पड़ा चावल सोने पर सुहागा का काम करता है और चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च बैक्टिरिया को बढ़ाने में और मदद करता है। कहते हैं अगर खीर चांदी के बर्तन में रखी जाए तो और लाभदायक होती है, क्योंकि चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। इसलिए हो सके तो खीर को चांदी के बर्तन में रखें। चूंकि इस दिन चांद पृथ्वी के सबसे करीब और सोलह कलाओं में होता है इसलिए इस दिन की खीर हमारे शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होती है।

नहीं बासी होती है इस दिन की खीर

भारतीय ज्योतिष अनुसन्धान संस्थान के निदेशक आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि आश्विन मास की पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ कहते हैं। इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है। विजयादशमी से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं। इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें। अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। शरीर की जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखें और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करें कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लें। खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी – इन पंचश्वेतों से युक्त होती है, अतः सुबह बासी नहीं मानी जाती।

DISCLAIMER:धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों के आधार पर धार्मिक विवरण दिया गया है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)