POLIO VIRUS:कोलकाता में 6 इलाकों के नाले के पानी में मिला पोलियो वायरस, बढ़ी चिंता, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को 8 साल पहले ही घोषित किया था पोलियो मुक्त देश, जानें देश में पोलियो का आखिरी मामला कब और किस शहर में मिला था
नई दिल्ली। हफ्ते कोलकाता के छह इलाकों में नाले के पानी में पोलियो वायरस (Polio virus) के टाइप-1 का नया वेरिएंट मिलने के बाद भारत की चिंता बढ़ गई है। जबकि 8 साल पहले अर्थात 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया था। फिलहाल इस नए वेरिएंट के पाए जाने के बाद से ही देश के विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है और स्वास्थ्य विभाग को कोलकाता के उन हिस्सों में अलर्ट कर दिया गया है, जहां ये वेरिएंट पाए गए हैं। इसी के साथ राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 19 जून से विशेष पोलियो वैक्सीनेशन अभियान चलाने का निर्णय किया है। इसके तहत हुगली, हावड़ा, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर, मालदा और मुर्शिदाबाद में बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी।
NewsBytes हिन्दी वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक WHO की टीम को कोलकाता के छह इलाकों में नाले के पानी में पोलियो वायरस के टाइप-1 का नया वेरिएंट मिला है। इस सम्बंध में स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग की ओर से कोलकाता में विभिन्न इलाकों में नाले के पानी का नियमित परीक्षण किया जा रहा है। हाल ही में श्यामलाल लेन, मेटियाब्रुज, वर्ल्ड विजन स्कूल क्षेत्र, धापा लॉकगेट, महेशतला और नारकेलडांगा इलाके में नाले के पानी में पोलिया वायरस के नए वेरिएंट का पता चला है। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और WHO के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं।
एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है
रिपोर्ट के मुताबिक पोलियो संक्रमण पोलियोमेलाइटिस वायरस के कारण होता है। यह एक गंभीर, जानलेवा और अक्षम करने वाली बीमारी है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर लकवे का कारण बनता है। संक्रमित लोगों में केवल फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं। हालांकि, 100 मरीजों में से एक में पैराएस्थेसिया, मेनिन्जाइटिस और लकवा जैसे गंभीर लक्षण नजर आते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, पक्षाघात पोलियो का सबसे गंभीर लक्षण है। यह स्थायी विकलांगता और मौत का कारण भी बनता है। यह संक्रमित के गले और आंतों में रहता है।
पोलियो के होते हैं तीन प्रकार
विशेषज्ञों की मानें तो पोलियो वायरस के तीन प्रकार होते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए तीनों प्रकार से बचाव जरूरी है। हालांकि, इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन पोलियो वैक्सीनेशन से इसे फैलने से रोका जा सकता है। टाइप-2 को सितंबर 2015 में विश्व स्तर पर समाप्त घोषित कर दिया था। इसी तरह टाइप-3 को अक्टूबर 2019 में समाप्त घोषित किया गया था। पोलियो वायरस से बचाव के लिए दो प्रकार के वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ओरल पोलियो वैक्सीन और इंजेक्शन पोलियो वायरस वैक्सीन शामिल है। बता दें कि पोलिया वायरस का टाइप-3 प्रकार आखिरी बार 2012 में नाइजीरिया में मिला था। अगर रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में वर्तमान में केवल टाइप 1 वाइल्ड पोलियो वायरस ही पाया जाता है और इसके उपचार पर फोकस किया जा रहा है।
भारत में पोलियो का आखिरी मामला मिला था हावड़ा में
अगर रिपोर्ट की मानें तो क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट और पोलियो संबंधित शोध कार्यों से जुड़े डॉ टी जैकब जॉन बताते हैं कि भारत में पोलियो वारयस के टाइप-1 के लिए साल में एक बार और टाइप-3 के लिए दो बार पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए OPV पोलियो वैक्सीनेशन अभियान आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में मिला था और 2014 में WHO ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था।
मल से निकल जाता है वायरस
जैकब के मुताबिक भारत में OPV वैक्सीनेशन के जारी होने से पोलियो संक्रमित बच्चे अपने मल के माध्यम से वायरस बाहर निकाल देते हैं। बता दें कि भारत में पोलियो वायरस का पता लगाने के लिए हर सप्ताह 13 राज्यों में 58 जगहों पर सीवरेज लाइनों के पानी की जांच की जाती है। जांच में CVDVP या IVDPV मामले सामने आते हैं। CVDVP का मामला मिलना इस बात का संकेत है कि यह दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है।