अनन्त चतुर्दशी का रविवार कनेक्शन: मंगल, बुध और सूर्य के अद्भुत संयोग से बना मंगल बुधादित्य योग, सुखमय जीवन के लिए इस मंत्र का करें उच्चारण
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी व्रत मनाया जाता है। इस बार यह 19 सितंबर दिन रविवार को पड़ रहा है। अनंत का मतलब है जिसके आदि ,अंत का पता न हो जो अनादि हो। हिंदू समाज में इस व्रत का अत्यंत महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान होने के कारण यह व्रत और भी फलकारी बन जाता है।
आचार्य प्रमोद द्विवेदी बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। साथ ही 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भी बांधा जाता है, जो कि चौदह लोकों का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की उपासना, व्रत करने से सुखमय जीवन की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्तों को भौतिक क्रियाकलापों से दूर होकर वेद ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। इस व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है। इसलिए सुबह ही व्रती को स्नान आदि के बाद संकल्प लेकर इसका व्रत शुरू कर देना चाहिए।
ऐसे करें पूजा
अनन्त की पूजा की शुरूआत कलश स्थापना से करनी चाहिए। बता दें कि कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनन्त की स्थापना करनी चाहिए। इसके आगे कुमकुम, केसर, या हल्दी से रंग कर बनाया हुए कच्चे डोरे का चौदह गांठों वाला अनन्त भी रखा जाता है। कुश के अनन्त की वंदना कर के, उसने भगवान विष्णु का आह्वान करना चाहिए। इसी के साथ गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवैद्य आदि से पूजन करना चाहिए। इसके बाद अनन्त देव का ध्यान करके अनन्ता अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें। इस व्रत का पारण ब्राह्मण को दान करके करना चाहिए। अनन्त की चौदह गांठें चौदह लोकों (तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह) की प्रतीक मानी गई हैं। इसमें अनन्त भगवान विद्यमान होते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
अनंत सूत्र हाथ में बांधते समय ध्यान रखना चाहिए कि पुरुष दाहिने और महिलाओं को अपने बाएं हाथ में इसे बांधना चाहिए।
ये बोलें मंत्र
अनंत सूत्र बांधते समय नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसका अर्थ है ‘हे वासुदेव! अनंत संसाररूपी महासमुद्र में मैं डूब रही या रहा हूं। आप मेरा उद्धार करें, साथ ही अपने अनंतस्वरूप में मुझे भी आप विनियुक्त कर लें। हे अनंतस्वरूप! आपको मेरा बारम्बार प्रणाम है।
‘अनंत संसार महासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्यनंतसूत्राय नमो नमस्ते॥’
ये है शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी तिथि की शुरूआत 19 सितंबर 2021, रविवार सुबह 6:07 बजे से हो जाएगी। चतुर्थी तिथि का समापन 20 सितंबर 2021 दिन सोमवार को सुबह 5:30 हो रहा है।
मंगल बुधादित्य योग
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस बार 19 सितंबर दिन रविवार को अनन्त चतुर्दशी मनाई जा रही है। ज्योतिष गणना के अनुसार, इस दिन मंगल, बुध और सूर्य एक साथ कन्या राशि में स्थापित हो रहे हैं। तीनों के एक साथ होने के कारण इस बार इस दिन मंगल बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस अद्भुत योग में पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर परिवार में सुख शांति और सौहार्द का आगमन होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा तो होती ही है, साथ ही गणेश चतुर्थी पर विराजमान की गई भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है।
ये है प्रचलित कथा
अनंत चतुर्दशी को लेकर जो कथा प्रचलित है, वो महाभारत काल से सम्बंधित है। मान्यता है कि राज्यहीन हो जाने पर भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अनन्त की पूजा व व्रत करने की सलाह दी थी। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि यह व्रत करने से उन्हें उनका राज्य जरूर वापस मिलेगा। इस सम्बंध में जब युधिष्ठिर ने अपनी शंका को दूर करने के लिए पूछा था कि यह अनंत कौन हैं? तब श्रीकृष्ण ने कहा कि श्रीहरि के ही स्वरूप को अनन्त कहा गया है। इस व्रत को विधि विधान से करने से जीवन में आ रहे सभी तरह के संकट कट जाते हैं।