परिषदीय स्कूलों के बच्चों का भविष्य अधर में…शिक्षक चले BLO ड्यूटी पर; अब इन परीक्षाओं के लिए कैसे होगी तैयारी?

November 22, 2024 by No Comments

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UP Basic Shiksha: उत्तर प्रदेश सरकार भले ही बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों की बराबरी प्राइवेट स्कूलों से करने के लिए तमाम जुगत भिड़ा रही हो लेकिन सवाल ये है कि जब स्कूलों में शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो भला बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी? दरअसल परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को लगातार BLO ड्यूटी में भेजा जा रहा है. स्कूलों से मिली जानकारी के मुताबिक, एक स्कूल से दो-दो शिक्षकों को बीएलओ के कार्य में लगाया जा रहा है, इस वजह से अधिकांश स्कूलों का पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.

गौरतलब है कि हाई कोर्ट का निर्देश है कि एक स्कूल से दो शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी पर न भेजा जाए, बावजूद इसके कानपुर जिले से खबर सामने आ रही है कि यहां पर एक स्कूल से दो शिक्षकों को बीएलओ कार्य में लगाया जा रहा है.

आने वाले दिनों में होने वाली हैं ये परिक्षाएं

इसी पखवारे यानी 25-26 नवम्बर को NAT परीक्षा है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की शैक्षणिक व्यवस्था का आंकलन होना है. ऐसे में जिन स्कूलों से शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी में लगाया गया है वो दिन-रात चिंतित हैं कि इसको लेकर किस तरह से तैयारी होगी. इसके अलावा परख के द्वारा आयोजित नेशनल अचीवमेंट सर्वे का भी आंकलन किया जाना है ये भी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली परीक्षा है जिसमे सरकारी विद्यालयों के साथ साथ प्राइवेट विद्यालयों के बच्चों के शैक्षणिक अधिगम का तुलनात्मक आंकलन होना है. तो इसके अलावा तीसरा आंकलन निपुण लक्ष्य की प्राप्ति हेतु डाइट के प्रशिक्षु द्वारा होना है.

तीनों ही बहुत महत्वपूर्ण आंकलन प्रस्तावित होने के बावजूद अन्य विभागों की तुलना में बेसिक विभाग के अध्यापकों की लगातार बीएलओ ड्यूटी लगाई जा रही है. अनुग्रह त्रिपाठी, जूनियर हाईस्कूल, शिक्षक महासभा के प्रांतीय संयोजक का कहना है कि इस समय बीएलओ की जो ड्यूटी लगाई जा रही है वो बूथ पर बैठने की लगाई जा रही है. ऐसे में बूथ पर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक बैठना होता है और मतदाता सूची में लोगों के नाम जोड़ने होते हैं. इस कार्य के लिए बड़ी संख्या में महिला शिक्षिकों को ग्रामीण इलाकों में लगाया गया है और घर उनका कापी दूर है, जो कि सुरक्षा की दृष्टि से जरा भी ठीक नहीं है.

उन्होंने ये भी बताया कि हाईकोर्ट ने कई बार ये आदेश दिया है कि इन कार्यों में अध्यापकों को न लगाएं फिर भी बड़ी संख्या में बेसिक स्कूलों के शिक्षकों को लगाया जा रहा है, जिससे पठन-पाठन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. बीएलओ ड्यूटी को लेकर शिक्षकों में रोष है, उनका कहना है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की बात की जाती है, बच्चों की उपस्थिति की बात करते हैं लेकिन जब स्कूल में शिक्षकों को ठहरने ही नहीं दिया जाता है तो भला कैसे शिक्षा का स्तर सुधरेगा और किस तरह से आर्थिक रूप से कमजोर व गरीब बच्चों तक सही शिक्षा पहुंच सकेगी. मालूम हो कि तमाम स्कूल तो ऐसे हैं जो एकल हैं यानी उसमें एक ही शिक्षक है, ऐसे में कभी-कभी तो इन स्कूलों के शिक्षकों को भी बीएलओ कार्य में लगा दिया जाता है, जिस वजह से ताला लटकने तक की नौबत भी आ जाती है.

जानें क्या होता है BLO का कार्य?

बता दें कि BLO का पूरा नाम बूथ लेवल ऑफिसर होता है और ये एक स्थानीय सरकारी या अर्ध-सरकारी अधिकारी होता है जो स्थानीय मतदाताओं के नाम को मतदाता सूची में चढ़ाने आदि का कार्य करता है. BLO भारत के चुनाव आयोग (ECI) का एक प्रतिनिधि होता है. इसकी चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बीएलओ निभाता है और मतदाताओं से जुड़े डेटा एकत्र करने में भूमिका निभाता है। BLO के कार्य के अन्तर्गत मतदाता पंजीकरण की प्रामाणिकता की पुष्टि करना, मतदाता सूचियों में विसंगतियों की पहचान करना और उनका समाधान करना, मतदाता जागरूकता अभियान चलाना और मतदान केंद्रों पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करना शामिल है।

जानें क्या है NAT?

NAT यानी निपुण असेसमेंट टेस्ट. इसकी परीक्षा बेसिक स्कूलों में 25 व 26 नवम्बर को कराई जाएगी. इसमें प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालय को शामिल किया गया है. मालूम हो कि बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले छत्र-छात्राओं के सीखने की क्षमता को आसान बनाने के लिए निपुण भारत मिशन चलाया जा रहा है। इसके तहत छात्र-छात्राओं को विषय सामग्री के जरिये शिक्षण कार्य कराया जाता है। विद्यालयों को निपुण लक्ष्य हासिल करने की समय सीमा भी निर्धारित की जाती है। अब 25 व 26 नवंबर को परीक्षा का आयोजन होने वाला है. परीक्षा के दौरान छात्र-छात्राओं को कोई परेशानी न हो, इसके लिए छात्र-छात्राओं को बोर्ड पर ड्राइंग बनाकर समझाया जाता है लेकिन जब शिक्षक ही स्कूल में नहीं रहेंगे तो इस तरह के कार्य कैसे किए जा सकेंगे? ये एक बड़ा सवाल है.

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