UP News: सर्विस बुक में इस बड़े बदलाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंची थी बेसिक शिक्षिका, याचिका खारिज

November 26, 2023 by No Comments

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Allahabad High Court: शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षिका की एक मांग को लेकर याचिका खारिज कर दी है. जन्मतिथि संशोधित करने के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है और कहा है कि, कर्मचारी के सर्विस बुक में प्रथम बार दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती. भले ही जन्मतिथि को संशोधित कर सही कर दिया गया हो, लेकिन नौकरी के समय सर्विस बुक में जो जन्मतिथि रिकॉर्ड की गई है, उसे बाद में सर्विस बुक में संशोधित नहीं किया जा सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झांसी जिले में प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त अध्यापिका कविता कुरील की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जस्टिस मंजीव शुक्ला ने बेसिक शिक्षिका की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है. दरअसल कविता ने बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी के 19 अप्रैल 2023 के आदेश को चुनौती दी थी. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने पूर्व पारित आदेश दिनांक 25 मई 2023 को वापस ले लिया था और यूपी रिक्रूटमेंट ऑफ सर्विस (डिटरमिनेशन आफ डेथ ऑफ़ बर्थ) रूल्स 1994 के नियम दो के तहत टीचर की सर्विस बुक में रिकॉर्ड की गई जन्मतिथि को संशोधित करने से मना कर दिया था. इसी को लेकर शिक्षिका ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने भी शिक्षिका का याचिका खारिज कर दी है.

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कही ये बात
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के तर्क को अपने फैसले में सही माना है और कहा है कि, यूपी रिक्रूटमेंट आफ सर्विस (डिटरमिनेशन का डेट ऑफ बर्थ) रूल्स 1974 के नियम दो के मुताबिक, सर्विस बुक में हाईस्कूल रिकॉर्ड के आधार पर दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता. इस नियमावली की विस्तार से चर्चा की है औऱ सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस नियमावली में प्रतिपादित सिद्धांत को आधार बनाते हुए फैसला दिया है. नियमावली से सब कुछ साफ होता है. इसमें कोई दुविधा नहीं है कि सर्विस बुक में दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता और वह भी तब जब कर्मचारी रिटायरमेंट के करीब हो. कोर्ट में दाखिल मामले के अनुसार, हाई स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार याची टीचर की जन्मतिथि 3 नवंबर 1960 दर्ज थी. उनके प्रोविजनल सर्टिफिकेट में तीन नंबर 1967 दर्ज थी. तो वहीं हाई स्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर उनके सर्विस बुक में जन्मतिथि 3 नवंबर 1960 रिकॉर्ड की गई थी. याची ने जब लम्बे समय तक नौकरी कर ली तो वर्ष 1997 एवं 1998 में सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद को अर्जी दी और जन्मतिथि मे संशोधन करने की मांग की. इस पर 2021 में जन्मतिथि संशोधित हो गई और हाई स्कूल सर्टिफिकेट मिल गया. इसके बाद याची ने सर्विस बुक में संशोधित जन्म तिथि दर्ज करने की मांग की थी, जिसे बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी ने मना कर दिया था. इसी के बाद याची ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अब कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी है.

माध्यमिक शिक्षा परिषद ने गलती में कर लिया था सुधार
याची कविता के अधिवक्ता के एस कुशवाहा ने मामले को लेकर जानकारी दी कि, याची के हाई स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार डेट ऑफ बर्थ 3 नवंबर 1967 है. इस बारे में माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अपनी गलती मानी और सर्टिफिकेट ठीक कर दिया और हाईस्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर उक्त नियमावली के तहत याची अध्यापिका के सर्विस बुक में जन्मतिथि 3 नवंबर 1960 की जगह 3 नवंबर 1967 दर्ज कर ली जाए, इसकी मांग की. फिलहाल याची को सर्विस बुक में दर्ज जन्म तिथि के अनुसार रिटायर कर दिया गया है.

बीएसए की ओर से कही गई ये बात
बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी की ओर से उनके अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि, याची की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापिका वर्ष 2006 में औरैया में हुई थी. हाई स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार उस समय याची की डेट ऑफ बर्थ 3 नवंबर 1960 दर्ज थी. जबकि सर्टिफिकेट के आधार पर और उसमें दर्ज जन्मतिथि को आधार मानते हुए सर्विस बुक में 3 नवंबर 1960 जन्मतिथि दर्ज की गई.