योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा ये अनोखा मिथक, जो अन्य मुख्यमंत्रियों के लिए बना था अभिशाप
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दशक से अधिक समय से चले आ रहे उस ‘नोएडा मिथक’ को तोड़ दिया और लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की, जिसमें कहा जाता था कि अगर नोएडा शहर का दौरा किसी मुख्यमंत्री ने कर लिया तो वह फिर से सत्ता में नहीं आ सका। हालांकि ऐसा पहले के मुख्यमंत्रियों के साथ हुआ।
बता दें कि इस मिथक को गलत साबित करते हुए ही 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, योगी आदित्यनाथ विकास परियोजनाओं और प्रशासनिक कार्यों का उद्घाटन, शिलान्यास करने के लिए कई बार नोएडा का दौरा किया था। मालूम हो कि ‘नोएडा का मिथक’ वर्षो तक राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय रहा है, जिसके तहत कहा जाता रहा है कि जो भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री इस जिले का दौरा करता है, वह अगली बार दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता है। दरअसल वीर बहादुर सिंह को शहर से लौटने के कुछ दिनों के भीतर ही 1988 में पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पावर कॉरिडोर में नोएडा का विवाद चर्चा का विषय बन गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्री काल में नोएडा जाने से परहेज किया था। हाल के दिनों में, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 2007 में नोएडा का दौरा किया था और वह 2012 में विधानसभा चुनाव हार गईं थीं। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2012 से अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कुर्सी जाने के डर से नोएडा नहीं गए थे। तो वहीं इसी जनवरी में नोएडा शहर की अपनी यात्रा के दौरान आदित्यनाथ ने मायावती और अखिलेश पर यह कहते हुए शब्द बाण छोड़े थे कि उनके लिए सत्ता अधिक महत्वपूर्ण थी इसलिए वे नोएडा जाने से हिचकिचा रहे थे। हालांकि इस मामले पर पूछे जाने पर नोएडा के विधायक पंकज सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रूप से कई बार शहर और यहां के लोगों के विकास का ध्यान रखा न कि मिथक का।
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