Chhoti Diwali: धन की कमी होगी पूरी… नरक चतुर्दशी पर जलाएं इतने दीये; करें ये चार काम, पढ़ें मंत्र

October 30, 2024 by No Comments

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Chhoti Diwali: धनतेरस के दूसरे दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप मे मनाया जाता है. इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन को लेकर मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन स्नान, ध्यान करने के बाद शाम को दीपदान करता है, उसे नरक में नहीं जाना पड़ता। इसलिए नरक से बचने के लिए इस दिन सुबह तेल लगाकर अपामार्ग का पौधा जल में डालकर स्नान करना चाहिए।

भारतीय ज्योतिष अनुसन्धान संस्थान के निदेशक विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि इस बार नरक चतुर्दशी के दिन मुख्य रूप से नीचे दिए गए अगर चार कार्य कर लिए जाएं, तो मान्यता है कि नरक के भय से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कि इस बार आज यानी 30 अक्टूबर को छोटी दीवाली मनाई जा रही है.

ये चार कार्य करें

-नरक चतुर्दशी के दिन चतुर्मुखी दीप का दान करने से नरक भय से मुक्ति मिलती है। एक चार मुख ( चार लौ ) वाला दीप जलाकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिये –

“दत्तो दीपश्वचतुर्देश्यां नरकप्रीतये मया।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापापनुत्तये॥”

(अर्थात नरक चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिये तथा समस्त पापों के विनाश के लिये मै चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।)

-नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्ध होता है नरक चतुर्दशी को तैलाभ्यंग स्नान अनिवार्य रूप से करें। मान्यता है कि इस दिन घर के साथ ही शरीर को भी स्वच्छ करना चाहिए।

-‘सन्नतकुमार संहिता’ एवं धर्मसिन्धु ग्रन्थ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है। जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है उसके शुभकर्मों का नाश हो जाता है। अर्थात इस दिन सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए।

-यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है।

यमराज के नाम से जरूर करें तर्पण

आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि इस दिन स्नान करने के बाद तीन अंजुलि जल भरकर यमराज के निमित्त तर्पण करना चाहिए, जिनके पिता जीवित हैं, उन्हें भी यह तर्पण करना चाहिए। मान्यता है कि धनतेरस पर शाम को यमराज के निमित्त दीपदान करने और नरक चतुर्दशी पर सुबह तर्पण करने से यमराज प्रसन्न होते हैं। इससे उस घर में न तो अकाल मृत्यु होता है और न ही नरक में जाना पड़ता है।

शाम को जलाएं जरूर जलाएं इतने दीए

ज्योतिष आचार्य के मुताबिक, नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली की शाम को भी दीपक जलाने चाहिए. मालूम हो कि दीपोत्सव यानी दीवाली का उत्सव पांच दिन तक चलता है जो कि धनतरेस से शुरू होता है और भइया दूज तक चलता है. माना जाता है कि धनतेरस से ही घरों में दीए प्रज्ज्वलित करने चाहिए और भइया दूज तक घरों में दीपक जलाना चाहिए. इसीलिए त्रयोदशी को यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है। अमावस्या को दीपावली का पूजन किया जाता है। इन तीन दिनों में दीपक जलाने का यह कारण बताया जाता है कि इन दिनों भगवान वामन ने राजा बलि की पृथ्वी को नापा था। वामन भगवान ने तीन पगों में सम्पूर्ण पृथ्वी, पाताल तथा बलि के शरीर को नाप लिया था।

छोटी दीपावली को शाम को 11, 21 अथवा 31 दीपक जलाने का विधान शास्त्रों में दिया गया है। इनमें 5 अथवा 7 दीपक तो घी के जलाए जाते हैं और शेष तेल के। घी के एक-एक दीपक पूजा के स्थान पर, पानी रखने के स्थान पर, भंडारगृह और गौशाला में रखा जाता है। शेष दीपक विभिन्न स्थानों पर रख दिए जाते हैं। दीपक जलाते समय रोली, चावल, खील और बताशों से इनकी पूजा भी की जाती है।

मान्यता है कि त्रयोदशी, चतुर्दशी तथा अमावस्या को यम के लिए दीपक जलाकर लक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली मनाते हैं। ऐसा करने से यम की यातना नहीं सहनी पड़ती और लक्ष्मी जी हमेशा साथ रहती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार किया था।

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)

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