33 प्रतिशत आरक्षण के बावजूद देश में नहीं सुधरी है महिलाओं की दशा, ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों को दी गई नसीहत
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में शुक्रवार को ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सचिवों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह मुद्दा मुखर रहा कि 33 प्रतिशत आरक्षण होने के बावजूद भी देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। मुख्य अतिथि मंत्री पंचायत राज उत्तर प्रदेश भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि पंचायतें गांवों में लैंगिक भेद – भाव को समाप्त करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
अटल सुशासन पीठ लोक प्रशासन विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्वावधान में पंचायत कार्यक्रम का आयोजन डीपीए सभागार में किया गया, जिसमें विकास खण्ड चिनहट के ग्राम प्रधानों एवं पंचायत सचिवों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। “शासन की नीतियों पर पंचायत प्रशिक्षण कार्यक्रम” में मुख्य अतिथि ने बताया कि पंचायतों को किस प्रकार विकास की ओर ले जाने का प्रयास वर्तमान की केंद्र और राज्य सरकार कर रही है। इस मौके पर उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे प्रदेश मे सितम्बर माह में आयोजित किया जा रहा है।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि प्रो. राकेश चन्द्र, अधिष्ठाता अकादमिक, लविवि लखनऊ ने कहा कि पंचायतें लैंगिक भेद –भाव को समाप्त करने मे सहायक हो सकती है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद भी अभी तक उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका है और न हीं वे सशक्त हो सकी हैं। यह एक चिंता का विषय है। उन्होंने महिलाओं को किस प्रकार से पंचायतो के माध्यम से स्वावलंबी बनाया जाय, इसकी जानकारी ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिवों को दी। अध्यक्षीय उद्बोधन मे प्रो. मनोज दीक्षित, संयोजक अटल सुशासन पीठ ने पंचायतों की परिकल्पना एवं शासन की नीतियों के माध्यम से किस प्रकार उसे साकार किया जाए, के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। मुख्य रूप से डॉ. अमित कुमार पाण्डेय, डॉ. श्रध्दा चन्द्रा, डॉ. वैशाली सक्सेना, उत्कर्ष मिश्रा, डॉ. खुर्शीद, अविनाश यादव आदि उपस्थित रहे।