Earthquake: म्‍यांमार में भूकंप से भारी तबाही, बैंकॉक में भी ढही इमारतें; अब तक 144 की मौत, सिर्फ 300KM दूर आखिर कैसे बचा भारत? जानें-Video

March 28, 2025 by No Comments

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Earthquake: म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के तेज झटके लगने के बाद भारी तबाही हुई है। इस विनाशकारी भूकंप में बड़ी इमारतों के साथ ही पुल और बांध भी धराशायी हो गए हैं. इसी के साथ ही मस्जिद भी ढह गई है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में विनाशकारी मंजर साफ देखने को मिल रह है. रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास था।

फिलहाल गृहयुद्ध में उलझे म्यांमार देश में जानमाल का कितना नुकसान हुआ है, इसका प्रमाणिक आंकड़ा अभी सामने नहीं आ सका है लेकिन हालांकि आधिकारिक बयान के तौर पर म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख ने मरने वाले लोगों की संख्या की जानकारी देते हुए एक बयान जारी किया है. इस सम्बंध में टीवी पर प्रसारित भाषण के मुताबिक कम से कम 144 लोग मारे गए और 730 अन्य घायल हुए हैं। भूकंप आज दोपहर करीब 12 बजे आया. भूकंप की तीव्रता 7.2 मापी गई है.

भूकंप से केवल म्‍यांमार ही नहीं, थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी बड़ा नुकसान हुआ है. बता दें कि बैंकॉक म्यांमार के उस सगाइंग क्षेत्र से करीब 1300 किलोमीटर दूर है. यहीं पर भूकंप का केंद्र था.

भूकंप के केंद्रबिंदु के इतने दूर होते हुए भी बैंकांक में कई मकान ग‍िर गए हैं और तीन लोगों के मारे जाने की खबर भी आई तो वहीं ये जानकर हैरानी होगी कि इसी सगाइंग क्षेत्र से सिर्फ 300KM दूर भारत में कुछ नहीं हुआ. इसको लेकर जानकारों ने पूरी कहानी कुछ इस तरह से समझाई है…

भारत में भी महसूस किए गए झटके, लेकिन नहीं हुआ नुकसान-क्यों

बता दें कि म्‍यांमार में भूकंप के आने के बाद ही इस देश से सटे भारतीय इलाकों खासकर पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में भी झटके महसूस क‍िए गए लेकिन किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ. जबकि म्‍यांमार में 6 बार धरती कांपी है. जानकार इसके पीछे धरती की संरचना को मुख्‍य रूप से जिम्‍मेदार बता रहे हैं.

जानकारों का कहना है कि जिस धरती पर हम रह रहे हैं वह कई प्लेटों में बंटी हुई है. भारत और म्यांमार अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित हैं. जिस प्‍लेट पर म्‍यांमार और थाईलैंड स्थित है उस पर भारत नहीं आता है. यही वजह कि भारत में भूकंप का झटका कम लगता है.

जानकार बताते हैं कि म्यांमार मुख्य रूप से सुंडा प्लेट (Sunda Plate) और बर्मा माइक्रोप्लेट (Burma Microplate) का हिस्सा है, जो इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट से प्रभावित होती है. जबकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट (Indian Plate) का हिस्सा है, जो यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) से टकरा रही है. इस टक्कर से हिमालय पर्वत श्रृंखला बनी है.

भारत और म्यांमार की सीमा पर सबडक्शन जोन (Subduction Zone) है, जहां भारतीय प्लेट उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है और बर्मा माइक्रोप्लेट के नीचे दब रही है. इस कारण से म्यांमार के साथ ही भारत के पूर्वोत्तर राज्य (मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश) में भूकंप का खतरा अधिक बना रहता है लेकिन आज यानी शुक्रवार को म्‍यांमार में जब भूकंप के तेज झटके लगे और भारी तबाही बैंकॉक तक हुई तो वो टेक्‍नोनिक प्‍लेट बुरी तरह ह‍िल गई. जबक‍ि भारतीय टेक्‍टोनिक प्‍लेट पर सिर्फ उस प्‍लेट का झटका लगा, जो बहुत तेज नहीं था.

भूकंप का केंद्र (एपिसेंटर) म्यांमार में रहा जो कि भारत उससे कुछ ही दूरी पर स्थित थे. जानकार कहते हैं कि भूकंपीय तरंगें दूरी के साथ ही अपनी ऊर्जा को कम कर देती है.. इसीलिए पूर्वोत्तर भारत में केवल झटके ही महसूस हुए लेकिन इसका सबसे बड़ा असर टेक्‍टोनिक प्‍लेटों की वजह से कम हुआ.

भारत में भूकंप के तेज झटके न लगने का एक कारण ये भी रहा

तो वहीं भारत में भूकंप के तेज झटके न लगने का एक कारण ये भी रहा कि म्यांमार और भारत के पूर्वोत्तर इलाकों की भूगर्भीय संरचना में अंतर है. दरअसल भारत के कुछ हिस्सों में चट्टानी या स्थिर भूभाग होने से नुकसान कम हुआ. भूकंप की गहराई भी मायने रखती है. गहराई अधिक होने से भारत में सतह तक पहुंचते-पहुंचते तरंगों की ताकत कम हो गई. जबकि म्यांमार में ढीली मिट्टी या कमजोर चट्टानें थीं, तो वहां भूकंप का असर अधिक देखने को मिला.

भारत के पूर्वोत्तर इलाकों में सतर्क रहता है प्रशासन

बता दें कि भूकंप संभावित क्षेत्र होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर इलाकों में प्रशासन पहले से सतर्क रहता है तो वहीं स्थानीय लोग भी इसको लेकर हमेशा सावधान रहते हैं. यही वजह है कि यहां पर भूकंप-रोधी निर्माण तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसकी वजह से भी यहां नुकसान कम रहता है. तो वहीं म्यांमार में ऐसी तैयारी कम थी, तो वहां तबाही ज्यादा हुई.

विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वोत्तर भारत टेक्टोनिक प्लेट्स के जंक्शन पर मौजूद है और भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है. इसीलिए वहां सावधान रहने की सलाह दी जाती है. इसी के साथ ही भूकंप के झटके अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग प्रभाव डालते हैं. ये भी हो सकता है कि म्यांमार की ओर तरंगों का मुख्य प्रभाव रहा हो जबकि भारत की ओर कम ऊर्जा पहुंची हो. इसी वजह से भारत में नुकसान नहीं हुआ जबकि म्यांमार पूरी तरह से हिल गया.

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