FATHER’s DAY BEST WISHES: वो मेरे मसीहा हैं, वही मेरे खुदा हैं….फादर्स डे पर दिल को छू लेने वाली कविता के साथ पिता को भेजें शुभकामना संदेश, देखें वीडियो, जानें कब से मनाया जा रहा है पितृ दिवस
इस बार Father’s day (पितृ दिवस) रविवार (18 जून 2022) को पड़ रहा है। वैसे तो पिता के लिए कोई खास दिन का चलन भारत में नहीं है, क्योंकि यहां प्रत्येक दिन पिता के पैर छू कर दिन की शुरूआत करने की परम्परा है, लेकिन पाश्चात्य देशों से आए इस दिन का क्रेज अब भारत में भी दिखाई देने लगा है। इस दिन लोग अपने पिता के लिए खास कार्यक्रमों का आयोजन करने लगे हैं और कविताओं व गजलों के माध्यम से अपनी भावनाओं को प्रस्तुत भी करते हैं। इसी खास दिन के लिए भारत की जानी-मानी कवयित्री अलका मिश्रा ने कविता लिखी है, जो दिल को छू जाने वाली है। इस एकदम नई कविता को आप भी अपने पिता को सुनाकर या भेजकर अपने भावों को प्रकट कर सकते हैं।

मेरे पापा
वो मेरे मसीहा हैं वही मेरे ख़ुदा हैं
ये सच है मेरे पापा ज़माने से जुदा हैं
बचपन में मुझे बाहों के झूले में झुलाया
हर दर्द मेरा अपने कलेजे से लगाया
मुश्किल मेरी हर एक है पलकों से बुहारी
मैं जान हूँ पापा की मैं हूँ उनकी दुलारी
कितने ही बड़े ख़्वाब दिखाते थे वो मुझको
दुनिया की बुराई से बचाते थे वो मुझको
आज़ादी से आकाश पे उड़ना भी सिखाया
तहज़ीब की पाज़ेब से पांवों को सजाया
फूलों की तरह रक्खा सितारों से संवारा
काँटों पे भी चलने के हुनर से है निखारा
कमज़ोर पे वो ज़ुल्म कभी सह नहीं पाए
दरिया से बहे कितनों के दुःख दर्द मिटाए
दुनिया के सभी रहते हैं किरदार उन्हीं में
शिव उनमें समाए, बसे अवतार उन्ही में
सागर सी है गहराई फ़लक़ उनमें बसा है
दिल उनका मुहब्बत की सदाओं से भरा है
रहते हैं सफ़र में कभी रुकते ही नहीं हैं
थक कर वो कभी राह में बैठे ही नहीं हैं
पापा को है इस वक़्त बहुत मेरी ज़रूरत
कहते वो नहीं खुल के मगर है ये हक़ीक़त
मैं अपनी ज़रूरत से निकल ही नहीं पाई
पापा के लिए कुछ भी तो मैं कर नहीं पाई
दिल उनका किसी बात से बहला नहीं सकती
जो उन से मिला है कभी लौटा नहीं सकती
बीसवीं सदी से हुई थी इस दिन को मनाने की शुरूआत
बता दें कि फादर्स डे पिता के सम्मान में मनाया जाने वाला एक विदेशी समारोह है। अनेक देश इसे जून के तीसरे रविवार को मनाते हैं। ये ठीक उसी तरह हैं, जिस तरह मदर्स डे। अगर गूगल की मानें तो फादर्स डे की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिताधर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये शुरू की गई थी। ताकि मातृ-दिवस की तरह ही पिता की भी भावनाओं का सम्मान किया जा सके। इसे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता रहा है। वास्तव में फादर्स डे सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 19 जून 1910 को मनाया गया था। कई महीने पहले 6 दिसम्बर 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मारे गए 210 पिताओं के सम्मान में इस विशेष दिवस का आयोजन ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने किया था। प्रथम फादर्स डे चर्च आज भी सेन्ट्रल यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के नाम से फेयरमोंट में मौजूद है। इस दिन को मनाने को लेकर इतिहास के पन्नों में और भी कई मान्यताएं दर्ज हैं।
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